सरकार न तो ईंधन मूल्य बढ़ोतरी रोक पाई है और न ही महंगाईः शिवसेना
शिवसेना ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है, 'सरकार न तो ईंधन मूल्य में बढ़ोतरी रोक पाई है और न ही महंगाई। इससे देश के आम आदमी की हालत बहुत खराब हो गई है।'
देश के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि बीते दिनों केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के मूल्य में दी गई कटौती की राहत भी अस्थायी साबित हुई है, क्योंकि उसके बाद भी ईंधन मूलय में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। पेट्रोल-डीजल रोज कुछ-कुछ पैसे महंगा हो रहा है। ऐसी उम्मीद थी कि सरकार द्वारा 4 से 5 रुपये की मूल्य कटौती के कारण आम जनता की जेब में रुपया कुछ समय के लिए थमेगा लेकिन वो निरर्थक साबित हुआ।
'15 लाख का किया था वादा'
पत्र में भाजपा पर तंज कसते हुए कहा गया है कि 15 लाख रुपये देने का वादा हुआ था लेकिन अब जनता की जेब खाली हो रही है। विदेश में कालाधन वापस लाने और प्रत्येक व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने का आश्वासन मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार ने दिया था लेकिन ये 15 लाख रुपये आज तक जमा नहीं हुए। इसके विपरीत निवेशकों से लेकर आम आदमी की जेब और बैंक खाते खाली हो रहे हैं। इसके साथ ही पिछले 15-20 दिनों में शेयर बाजार में आई सुनामी के चलते निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबने की नौबत आ गई है। डॉलर की तुलना में रुपये का गिरना भी लगातार जारी है।
'कर्जदारों के चलते डूबा देश का पैसा'
फरार कारोबारी विजय माल्या और नीरव मोदी पर लिखा गया है कि माल्या से लेकर नीरव मोदी तक कई कर्जखोरों के चलते देश का करीब एक लाख करोड़ रुपया बह गया है। बैंक की तिजोरी का यह पैसा वापस लेने की बात सरकार कर रही है। कर्ज डुबाने वालों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की गई है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। बकाएदार उद्योगपति हों या स्विस बैक के कालेधन के खातेदार हों, सारा पैसा देश की आम जनता का ही है। जनता ने इसे देश की तिजोरी में भरा था, लेकिन वह सीधे कर्ज डुबाने वाले उद्योगपतियो की जेब और स्विस बैंक के खाते में पहुंच गया।