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11 June 2020

एक्शन में हेमंत, खुलने लगी झारखंड में गड़बड़ियों की पोल

झारखंड की लाइफलाइन कहे जाने वाले रांची-हजारीबाग फोर लेन सड़क पर रांची के बाहरी इलाके चुटुपालू के पास एक टोल प्लाजा है। टोल प्लाजा का एक कर्मचारी अपने साथी को बता रहा था, “राज्य सरकार के ताकतवर अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ भी सीएम ने कार्रवाई कर दी है। अब लगता है कि झारखंड के दिन बहुरेंगे।” दूसरे ने टिप्पणी की, “इन लोगों ने झारखंड को बहुत लूटा है। अब मजा आएगा। निरंजन कुमार तो मोहरा है। असली खिलाड़ी तो अभी बचा हुआ है। देखते चलो, अभी कई और मछलियां फंसेंगी।”

टोल प्लाजा के इन दो कर्मियों की इस बातचीत के केंद्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निरंजन कुमार के खिलाफ जांच का आदेश था। निरंजन कुमार झारखंड की नौकरशाही में ऐसा नाम है, जिसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है और सत्ता के गलियारे का एक जाना-पहचाना चेहरा है। वह मूल रूप से भारतीय डाक और दूरसंचार लेखा सेवा के अधिकारी हैं, लेकिन 14 साल से झारखंड सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उनका परिचय इतना ही नहीं है। वह झारखंड के बिजली महकमे के सर्वशक्तिमान अधिकारी हैं और तमाम सरकारी प्रावधानों को ताक पर रख कर लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं। जरेडा, यानी झारखंड रिन्युएबल एनर्जी ऑथरिटी के निदेशक के रूप में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जिनकी जांच के आदेश दिए गए हैं। वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियों के आरोप भी उन पर हैं। इन सभी की जांच अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो करेगी। उनके खिलाफ कई दौर की छापामारी हो चुकी है और एसीबी की टीम ने उनसे पांच घंटे तक पूछताछ भी की है।

दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब पूरी तरह एक्शन मोड में हैं। पांच महीने पहले 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तत्काल बाद उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करेगी, लेकिन गड़बड़ियों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पांच महीने बाद उन्होंने साफ कर दिया है कि ताकतवर लोगों के खिलाफ भी कदम उठाने से वह पीछे नहीं हटेंगे। सत्ता संभालने के एक महीने बाद ही उन्होंने झारखंड के सर्वशक्तिमान इंजीनियर रासबिहारी सिंह को निलंबित कर संकेत दे दिया था कि उनके काम करने का अलग तरीका होगा। रासबिहारी सिंह की ताकत और पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह एक साथ कई विभागों के प्रमुख थे और राज्य सरकार के निर्माण का काम किस ठेकेदार को दिया जाये, इसका अंतिम फैसला वही लेते थे।

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झारखंड के चर्चित ठेकेदार और राजनीतिक गलियारे में अलग रसूख रखनेवाले रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के निदेशक रंजन सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस कंपनी ने नक्सलियों को लेवी पहुंचाया है और एनआइए ने टेरर फंडिंग मामले में इस पर दबिश दी है। दरअसल झारखंड में नक्सलियों द्वारा लेवी वसूली की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं और अब तो कोयला कारोबारियों और सरकारी निर्माण में लगे ठेकेदारों द्वारा नक्सलियों को लेवी दिए जाने के आरोप प्रमाणित भी हो चुके हैं। इस पूरे खेल को एनआइए बेनकाब करने में जुटी है। राज्य पुलिस भी हाल के दिनों में सक्रिय हुई है और कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

जल संसाधन विभाग के टेंडर की जांच

जल संसाधन विभाग में पिछले तीन साल के दौरान जितने भी टेंडर निकले, मुख्यमंत्री ने उन सभी की जांच के आदेश दिए हैं। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि पिछले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हजारीबाग में कोनार डैम परियोजना का उद्घाटन किया था, लेकिन अगले ही दिन यह बह गया था। उस समय कहा गया था कि चूहों ने बांध को खोखला कर दिया। तीन सौ करोड़ रुपये की यह पूरी परियोजना बेकार हो गई, लेकिन जल संसाधन विभाग की ताकतवर अभियंता लॉबी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। हेमंत सोरेन के एक्शन से अब इस लॉबी में खलबली मची है और इसके राजनीतिक आका बेचैन हो गए हैं।

हेमंत सोरेन की कार्यशैली पर राजनीतिक टीकाकार अमरेंद्र कुमार कहते हैं, मुख्यमंत्री ने रासबिहारी सिंह और निरंजन कुमार के खिलाफ कार्रवाई कर शुरुआत तो अच्छी की है, लेकिन यह देखना होगा कि यह सिलसिला जारी रहता है या नहीं। यदि इसी तरह वह कड़े कदम उठाते रहे, तो फिर झारखंड में कोयले की खदान की तरह गड़बड़ियों की खदान भी खुल जाएगी।

लंबी है गड़बड़ियों की फेहरिस्त

झारखंड में पिछले पांच साल के दौरान बरती गयी गड़बड़ियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। मोमेंटम झारखंड हो या पांच लाख युवाओं को एक दिन में नौकरी देने का मेगा शो, विदेशों में रोड शो हो या राज्य में हुए निर्माण कार्य, शायद ही कोई विभाग ऐसा बचा हो, जहां गड़बड़ियां नहीं हुई हों। हेमंत सरकार इन गड़बड़ियों पर एक-एक कर नजर दौड़ा रही है। कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री बंधु तिर्की कहते हैं, पिछली सरकार ने झारखंड को बर्बाद कर दिया। उसने राज्य में हवाई घोषणाओं का अंबार लगा दिया और जनता को बेवकूफ बनाया। उस सरकार के कारनामों की व्यापक जांच जरूरी है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो शुरुआत की है, उसकी तारीफ तो हो रही है, लेकिन सवाल भी खूब उछल रहे हैं। भाजपा ने स्वाभाविक तौर पर सरकार के फैसलों को बदले की भावना करार दिया है, लेकिन आम लोग कहते हैं कि आगाज तो अच्छा है, पर यह सब कितने दिन चलेगा, यह देखना बाकी है। चर्चित निर्दलीय विधायक सरयू राय ने तो मुख्यमंत्री को गड़बड़ियों की पूरी लिस्ट सौंपी है और उनकी जांच कराने को कहा है।

झारखंड के बारे में कहा जाता है कि स्थापना काल से ही इसे राजनीति की प्रयोगशाला बना कर रखा गया। लेकिन हकीकत यही है कि पिछले पांच साल के दौरान जहां राज्य में राजनीतिक स्थिरता रही, वहीं नौकरशाही यहां के शासन पर पूरी तरह हावी हो गयी। चंद गिने-चुने नौकरशाहों ने अपनी मर्जी के मुताबिक फैसले कराये और राजनीतिक नेतृत्व उनके हाथों का खिलौना बन कर रह गया। यही कारण था कि कागजों पर झारखंड आगे बढ़ता रहा, लेकिन वास्तविकता इससे अलग थी। राज्य की अर्थव्यवस्था बदहाल होती गयी और राज्य का खजाना खाली होता रहा। केवल दिखावे के लिए आयोजन हुए और करोड़ों रुपये फूंक डाले गये। राज्य को कोई लाभ नहीं हुआ। केवल कुछ लोग ही लाभान्वित हुए। आम लोग गरीब से अधिक गरीब होते रहे, लेकिन सरकार ने उन पर ध्यान नहीं दिया। राजनीतिक हित साधने के लिए फैसले लिये गये, जिसने लोगों को नाराज कर दिया।

अब, जब गड़बड़ियों की पोल खुलने लगी है और हेमंत सरकार कुछ साहसिक फैसले लेने लगी है, राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस बात की चर्चा हो रही है कि सरकार का रवैया अधिक आक्रामक होनेवाला है। आनेवाले दिनों में ऐसे ही फैसले देखने को मिलेंगे, जिनसे न केवल आम लोग खुश होंगे, बल्कि झारखंड को भी लाभ होगा।

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TAGS: Hemant Soren, Jharkhand
OUTLOOK 11 June, 2020
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