मुगलानी में छिपा है ‘आप’ के चंदे का राज
मुगलानी वही शख्स है जिसकी कंपनियों ने आम आदमी पार्टी (आप) को दो करोड़ रुपए का चंदा दिया। और अवाम नाम की संस्था ने इस मामले को उठा कर आप को घेरने की कोशिश की थी। मुगलानी कहां है इस बात की जानकारी किसी को नहीं है। इससे जुड़े पतों पर जब कुछ पत्रकार पहुंचे तो वहां न तो किसी को राजन मुगलानी के बारे में पता था और न ही उसकी कंपनियों के बारे में।
आम आदमी पार्टी (आप) के अवैध चंदा लेने की बात से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है। बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान इस मामले को आप की ईमानदारी का पैमाना बनाने की कोशिश की और पार्टी पर हवाला के जरिए अवैध धन एकत्र करने का आरोप लगाया।
मुगलानी की कंपनी इन्फोलैंस सॉफ्टवेयर ने आप को पचास लाख रुपए का चंदा दिया था। इस कंपनी में मुगलानी की अस्सी फीसदी की हिस्सेदारी है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रिकॉर्ड इस बात की तस्दीक करते हैं। कंपनी का आधिकारिक कार्यालय दिल्ली के गांधीनगर में दिखाया गया है। लेकिन वहां इस कंपनी का नामो-निशान तक लोग नहीं जानते हैं।
2013 में तक इस कंपनी का रिकॉर्ड आरओसी के पास है। 31 मार्च 2013 के वित्तीय वर्ष में इसके पास पचास करोड़ रुपए का कैश रिजर्व है। इसका कामकाज चलाने की राशि सिर्फ़ 22,077 दिखाई गई है। आय शून्य है। आरओसी के 2012 के रिकॉर्ड के मुताबिक मुगलानी की इस फर्म में अस्सी फीसदी की हिस्सेदारी है। आरओसी के डेटाबेस में मुगलानी को रस्टिक प्लास्ट लिमिटेड का मैनेजिंग डायरेक्टर बताया गया है। यह कंपनी बंबई स्टॉक ऐक्सचेंज में लिस्टेड है।
आरओसी की फाइलिंग के मुताबिक राजन मुगलानी के अलावा इन्फोलैंस के तीन और डायरेक्टर हैं। इनके नाम धर्मेंद्र कुमार, मुकेश कुमार और हेम प्रकाश शर्मा हैं। इनकी कंपनी में 0.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसका मतलब यह है कि राजन मुगलानी ही कंपनी का सर्वेसर्वा था और उसने अपने वफादार लोगों को मामूली हिस्सेदारी देकर डायरेक्टर बनाया हुआ था।
इन्हीं तीन डायरेक्टर की दूसरी फर्म ने इन्फोलेंस के साथ मिलकर कुल 2 करोड़ की रकम आप को चंदे में दी।
रसिक प्लास्ट का आधिकारिक पता बी-1, घरोली डेयरी फार्म, मयूर विहार, फेज 3 दिल्ली. वहां इस पहले इस कंपनी का एक स्टोर था लेकिन कंपनी अब वहां से जा चुकी है। बाद में यह कंपनी सेक्टर 9 नोएडा चली गई थी। वहां अब भी प्लास्टिक बनाने वाली एक कंपनी एसएम प्लास्टिका है लेकिन उसके मालिक का कहना है कि मुगलानी उसका दोस्त था लेकिन अब उसका मुगलानी से कोई संपर्क नहीं है।
इन्फोलेंस सॉफ्टवेयर, गोल्डमाइन बिल्डकॉन, सन विजन एजेंसीज और स्काईलाइन मेटल एंड अलोइज नाम की इन कंपियों को 1994 से लेकर 2009 के बीच बनाया गया था. यानी 2012 में आप के अस्तित्व में आने से काफी पहले से यह कंपनियां बन चुकी थीं।
मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक गोल्डमाइन बिल्डकॉन का पंजीकृत पता गोकुलपुरी में है। इस पते पर किन्हीं मित्तल साहब की एक दुकान चलती है जो पिछले कुछ महीनों से बंद पड़ी है। 31 मार्च को बंद हुए वित्तीय वर्ष 2013 के दस्तावेजों के मुताबिक कंपनी के खाते में सिर्फ 61,237 रुपए का फायदा दिखाया गया है। दूसरी फर्म सनविजन एजेंसीज का पंजीकृत पता मुकुंद विहार, करावल नगर है। यहां भी कंपनी का कोई अता-पता नहीं है।
आम आदमी पार्टी के पते में इन कंपनियों की तरफ से चंदा मिलने को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। किसी को नहीं पता कि इन कंपनियों के मुख्य कर्ता-धर्ता मुगलानी ने चंदा क्यों दिया। सिर्फ राजन मुगलानी ही इन सारे सवालों के जवाब दे सकता है लेकिन फिलहाल वह गायब है।