नीतीश ने कहा, पीएम पद का दावेदार नहीं हूं
नीतीश ने कहा कि जब गैर भाजपाई दलों की एकजुटता की बात करते हैं तो उनपर कितना प्रहार हो रहा है। संघ मुक्त भारत के पक्षधर पार्टियों को एकजुट होने के बयान पर क्या-क्या नहीं कहा जा रहा है। वह नेतृत्व या सर्वोच्च पद (प्रधानमंत्री) की दावेदारी कहां कर रहे हैं। वह तो लोगों से सिर्फ एकजुट होने के लिए कह रहे हैं और इसके लिए कोशिश करते रहेंगे।...लोकतंत्र में लोगों को एकजुट करना क्या गुनाह है।
नीतीश ने कहा कि विलय को लेकर बहुत सारी बातें की जाती हैं। विलय, गठबंधन, तालमेल अथवा आपसी समझ हो, जो कुछ भी संभव है वह हो। एकजुटता का प्रयास किया जाना चाहिए और यह काम वह करते रहेंगे क्योंकि उनका इसमें कोई अपना स्वार्थ नहीं है।
उन्होंने कहा कि वे मीडिया के लोगों से हाथ जोडकर विनम्र प्रार्थना करना चाहते हैं कि हम गरीब घर में पैदा हुए हैं। बिहार को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।....पहले भाजपा वाले भी उन्हें पीएम मेटेरियल कह दिया करते थे आज भी आप लोग कहलवा देते हैं। कृपया करके इतना अन्याय न करें। हमने न तो बिहार के साथ कभी अन्याय किया है और न ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई जिम्मेदारी मिली है तो किसी पद पर आसीन (सांसद या मंत्री) होकर अन्याय किया है।
नीतीश ने कहा कि देश की राजनीति नहीं चलती क्योंकि बिहार का पुख्ता प्रमाण है। महागठबंधन की रणनीति से वे चारों खाने चित हुए हैं। इसी रणनीति से देश में वे चारों खाने चित होंगे। यही तो हम कह रहे हैं। कौन नेता बनेगा यह तो समय की चीज है। इसलिए कृपा करके इस बहस को गलत रूप मत दीजिए। उन्होंने कहा कि जदयू की आवाज में इतना नैतिक बल और दम हैं तो इसमें परेशानी क्यों हो रही है।
नीतीश ने कहा कि संघ (आरएसएस) की राजनीतिक शाखा भाजपा जिस प्रकार की राजनीति कर रही और जिस प्रकार से देश को चलाने की कोशिश कर रहे हैं उसके कारण आज देश के सामने जिस प्रकार की चुनौती खडी हुई है उसका सभी गैरभाजपाई दलों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कालाधन वापस लाने, किसानों को उनकी लागत से डेढ़ गुना फसल का दाम दिए जाने तथा युवाओं को रोजगार दिए जाने साहित अन्य कई वादों को भाजपा भूल गयी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि ये तो जुमला था। न कालाधन आया, न युवाओं को रोजगार मिल रहा है और न ही किसानों को उनकी लागत पर पचास प्रतिशत जोडकर उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है। बैंकों की हालत खस्ता है। उनका पैसा डूब रहा है। बडे-बडे लोगों ने उनका पैसा ले लिया। एक उदाहरण सामने आया है। ऐसे अनेकों होंगे जो कि बैंक की राशि लेकर बैठे हुए हैं।
नीतीश ने केंद्र की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में देश में अर्थिक स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यों पर केंद्र सरकार आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र का हिस्सा कम करके राज्यों का हिस्सा बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में केंद्र ने अपनी हिस्सेदारी घटा दी और मनरेगा एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाली योजनाओं पर उनका ध्यान नहीं है।