पश्चिम बंगाल: ओवैसी के बाद एक और 'किंगमेकर' की एंट्री, ममता पर मुसलमानों को लेकर कह दी ये बड़ी बात
इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) का गठन कर पश्चिम बंगाल में सियासी हलचल पैदा करने वाले मुस्लिम दरगाह फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने राज्य की मौजूदा मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी पर बड़ा आरोप लगाया है। हमला बोलते हुए पीरजादा ने कहा है कि राज्य में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदू-मुस्लिम को बांटकर मुसलमानों की भलाई से ज्यादा उनका नुकसान किया है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सिद्दीकी कांग्रेस-माकपा गठबंधन के साथ-साथ एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी गठबंधन करने का प्रयास कर रहे हैं।
सिद्दीकी का कहना है कि उनका नवगठित राजनीतिक संगठन राज्य में ‘किंगमेकर' साबित होगा जिसमें लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। वह इस आरोप को भी निराधार मानते हैं कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया।
राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इन चुनावों से पहले गठबंधनों के बारे में बात करते हुए सिद्दीकी ने तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाएं काफी 'कम' है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा का मुकाबला करने के लिए हमने तृणमूल कांग्रेस समेत सभी दलों के एक महागठबंधन का प्रस्ताव रखा था। लेकिन हमारे प्रस्ताव पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। इसलिए अब संभावना बहुत कम है।'' सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि चुनाव लड़ने की उनकी घोषणा के बाद, राज्य सरकार ने आईएसएफ समर्थकों को झूठे मामलों में फंसाकर उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (टीएमसी) को उनके अहंकार का करारा जवाब मिलेगा।''
सिद्दीकी ने हालांकि कहा कि कांग्रेस-वाम गठबंधन और एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की संभावनाएं बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि उनके संगठन के दरवाजे तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर सभी के लिए खुले हैं। उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि उनका संगठन भाजपा की ‘बी-टीम' है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने ओवैसी की पार्टी के खिलाफ भी इस तरह का आरोप लगाया था। सिद्दीकी ने कहा, ‘‘हम यहां केवल मुस्लिम वोटों के लिए नहीं बल्कि पिछड़े समुदाय के वोटों को पाने के लिए भी आए हैं। अगर तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए काम करती, तो हमें चुनाव मैदान में उतरने की जरूरत नहीं होती। लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का अधिकार हर किसी को है।''