क्या वोटर आईडी मुद्दे पर चर्चा को तैयार है सरकार? तृणमूल के रास सदस्य डेरेक ने किया सवाल
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने सोमवार को कहा कि विपक्ष फर्जी मतदाता पहचान पत्र के मुद्दे पर बहस चाहता है लेकिन क्या सरकार इसके लिए तैयार है? चार दिन के अवकाश के बाद सोमवार को संसद का बजट सत्र की कार्यवाही पुनः शुरू हो रही है।
राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता ओ ब्रायन ने सोमवार को सुबह सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया कि यह मुद्दा "लोकतंत्र का मूल है।" उन्होंने अपने 12 मार्च के पोस्ट को भी टैग किया जिसमें उन्होंने फर्जी वोटर आईडी के विषय पर अगले सप्ताह (नियम 176 के तहत) चर्चा की मांग की थी।
ओ ब्रायन ने कहा, "चार दिन के अवकाश के बाद संसद में फिर से कार्यवाही शुरू हो रही है। विपक्ष उस मुद्दे पर बहस करना चाहता है जो लोकतंत्र का मूल है। क्या सरकार तैयार है?"
कई विपक्षी दल संसद में ईपीआईसी नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) के कथित फर्जीवाड़े के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों के दल परिसीमन के मुद्दे पर भी चर्चा करना चाहते हैं।
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों ने कहा है कि इन मुद्दों पर संसद में चर्चा होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी नियम के तहत हो।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने 27 फरवरी को विभिन्न राज्यों में मतदाता पहचान पत्रों के समान ईपीआईसी नंबर का मुद्दा उठाया था।
पिछले सप्ताह चुनाव आयोग को सौंपे गए एक ज्ञापन में टीएमसी ने कहा था कि "नकली आधार कार्डों का उपयोग कर फर्जी मतदाता पंजीकरण कराने के मामले सामने आए हैं।"
मुख्य चुनाव आयुक्त ने 18 मार्च को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह सचिव, विधायी सचिव और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ बैठक बुलाई है।
चुनाव आयोग ने दो मार्च को एक बयान जारी कर कहा कि सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटाबेस को ईआरओएनईटी (इलेक्टोरल रोल मैनेजमेंट) प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित करने से पहले "विकेन्द्रीकृत और हाथों से काम करने की व्यवस्था" (मैनुअल प्रणाली) का पालन किए जाने के कारण विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान इपीआईसी नंबर आवंटित किया गया था।
आयोग ने यह भी कहा कि कुछ मतदाताओं के ईपीआईसी नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन अन्य विवरण जैसे जनसांख्यिकीय जानकारी, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र अलग-अलग हैं।
एक अन्य बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि वर्ष 2000 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ईपीआईसी सीरीज आवंटित करने के बाद, कुछ निर्वाचक नामांकन अधिकारियों ने सही सीरीज का उपयोग नहीं किया।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसने अब इस "लंबे समय से लंबित मुद्दे" को हल करने का निर्णय लिया है और अगले तीन महीनों में तकनीकी टीमों और संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद समान ईपीआईसी संख्या वाले वोटर आईडी की समस्या को सुलझाने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके अलावा, आयोग ने राज्यों में अपने चुनावी तंत्र को निर्देश दिया है कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करें और निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत मुद्दों का समाधान करें।