'तीर' के बजाय इन चुनाव चिह्नों पर है जदयू की नजर
जदयू के वर्तमान चुनाव चिह्न 'तीर' से मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति को देखते हुए पार्टी ने मकर संक्रांंति के बाद किसी दिन चुनाव आयोग से मिलने और तीर के बजाय अपने पसंदीदा चिह्नों की एक सूची सौंपने की योजना बनाई है। मकर संक्रांति गुरूवार को है और इसलिए इस पर आगे की बात अगले सप्ताह होगी। जदयू को उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक उसे नया चिह्न मिल जाएगा।
जदयू के सूत्राें ने बताया कि पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और केरल में निर्धारित विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नया चुनाव चिह्न चाहती है जहां पर राजग को पराजित करने के लिए बिहार में बनाए गए महागठबंधन की तर्ज पर चुनाव लड़ने की योजना है। उन्होंने बताया कि पार्टी तीन चिह्नों पेड़, हल चलाता किसान और झोपड़ी में से किसी एक को हासिल करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि बरगद का पेड़ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और झोपड़ी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिह्न था। हल चलाता किसान लोक दल का चुनाव चिह्न रहा है। ये सभी दल किसी न किसी समय में एक बड़े जनता परिवार का हिस्सा थे।
छोड़ी 'चक्र' की उम्मीद
पुरानी पार्टी जनता दल का चक्र चुनाव चिह्न पाने के प्रति उत्सुकता जाहिर करने के बाद जदयू ने जनता दल (सेक्यूलर) के समर्थन की संभावना नहीं होने के कारण इसकी उम्मीद छोड़ दी है। बिहार चुनाव के तत्काल बाद जदयू के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव चिह्न पर चर्चा करने के लिए बिहार चुनाव आयोग से मुलाकात की थी। चक्र चिह्न के लिए उनकी मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग ने कहा था कि चक्र चिह्न उन्हें तभी दिया जा सकता है जब जद (एस) को इस पर आपत्ति न हो।
इसलिए 'तीर' नहीं चाहती जदयू
जदयू का तीर चुनाव चिह्न तीर झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना के तीर और धनुष से मेल खाता है। पार्टी का यह भी मानना रहा है कि शिवसेना और जेएमएम के साथ इसके चिह्न के मेल खाने के कारण इस विधानसभा चुनाव में जदयू को अच्छा खासा वोट गंवाना पड़ा जिसके कारण बिहार में इसे कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसलिए तीर के बजाय किसी दूसरे चुनाव चिह्न पर जदयू की नजर है।