हेमन्त ने पूरा किया वादा, 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पास
माइनिंग लीज मामले में 17 नवंबर को हाजिर होने के लिए ईडी के दूसरे समन के बीच मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपना बड़ा वादा पूरा किया। शुक्रवार को विधानसभा के एक दिनी विशेष सत्र में 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण से संबंधित विधेयक सदन से ध्वनि मत से पारित हो गया। इस तरह प्रदेश में ओबीसी को आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दी गई। इस तरह प्रदेश में अब आरक्षण की सीमा बढ़कर 77 प्रतिशत हो गई जो देश में सर्वाधिक है। दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। यानी केंद्र की मंजूरी के बाद ये दोनों प्रभावी होंगे।
पीएम देते हैं फोन पर धमकी, जेल में रह भाजपा का सूपड़ा साफ कर देंगे
मंजूरी के प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए हेमन्त हमलावर मुद्रा में नजर आये। कहा भाजपा सामंती सोच वाली पार्टी है। इसके मुखिया और देश के प्रधानमंत्री फोन करके धमकी देते हैं। वे नरेंद्र मोदी के उस वायरल फोन के आधार पर बोल रहे थे जिसमें नमो हिमाचल के विधानसभा चुनाव में एक बागी प्रत्याशी को नाम वापस के लिए उस पर दबाव बना रहे थे। भाजपा पर निशाना साधते हुए हेमन्त सोरेन ने कहा कि आपलोगों को जितना षडयंत्र करना है कर लें मैं जेल में रहकर भी भाजपा का सूपड़ा साफ कर दूंगा। मेरे पिता शिबू सोरेन ने झारखंड दिया, बेटा 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति देकर पहचान दे रहा है। आज का दिन अच्छा है 11 नवंबर 1908 को ही सीएनटी एक्ट लागू हुआ था और दो साल पहले सरना कोड का प्रस्ताव भी सदन से 11 नवंबर को ही पारित हुआ था।
उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान का व्यापक दायरा है सिर्फ नौकरियों तक यह सीमित नहीं है। आदिवासी को आप बोका (मूर्ख) समझते थे यह बोका नहीं रहा। आप को धो-पोंछकर बाहर कर देगा। राज्य की जनता से हमने जो वादा किया था वो पूर किया। पूर्व की सरकार ने ओबीसी का कोटा 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत कर दिया था मैंने वापस किया है। अनुसूचित जाति का कोटा 10 से बढ़ाकर 12 और जनजाति का 26 से बढ़कर 28 हा जायेगा। अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इस तरह अब झारखंड में आरक्षण का कोटा 50 प्रतिशत से बढ़कर 77 प्रतिशत हो गया है। हेमन्त सोरेन ने कहा कि विधेयक में संशोधन की कोई जरूरत नहीं, साजिश की बू आ रही है। कर्नाटक में भाजपा की सरकार है वहां के मुख्यमंत्री ने भी ओबीसी आरक्षण का कोटा बढ़ाने के लिए नौवीं सूची में डालने का केंद्र से आग्रह किया है, सिफारिश की है।
हेमन्त सोरेन ने भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को बर्बाद कर चुके हैं अब बाबूलाल मरांडी को बर्बाद करने पर तुले हैं। बाबूलाल अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं। एक आदिवासी युवा इनके साखने खड़ा होकर लड़ाई लड़ रहा है।
दोनों विधेयकों से संबंधित सात संशोधन आये थे जिन्हें अमान्य कर दिया गया। विधेयक के अनुसार जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या इसके पूर्व के खतियान में दर्ज होगा वे स्थानीय या मूलवासी कहे जायेंगे। जिनका खतियान गुम हो गया या जिनके पास जमीन नहीं थी के बारे में ग्राम सभा पहचान कर उन्हें स्वीकृति देगी। 1932 के खतियान संबंधी विधेयक पर विधायक विनोद सिंह, अमित यादव और रामचंद्र चंद्रवंशी का संशोधन प्रस्ताव था। इन्होंने विचार के लिए प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया था। जिसे अस्वीकार कर दिया गया। माले विधायक विनोद सिंह का कहना था कि विधेयक में स्पष्टता का अभाव है, कई परिवार ऐसे हैं जो भूमिहीन है। नियोजन में इसका लाभ मिलना चाहिए, कहीं यह सिर्फ कागजी दस्तावेज बनकर न रह जाये। रामचंद्र चंद्रवंशी का कहना था कि राजनीति से प्रेरित होकर जल्दबाजी में यह विधेयक लाया गया है। अमित यादव की दलील थी कि ग्राम सभा किसी को भी जिनके पास खतियान नहीं है मंजूरी दे देगा तो क्या उसे स्थानीय मान लिया जायेगा। आवेदक की वंशावली की जांच के बाद मान्यता दिये जाने का प्रावधान होना चाहिए। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा सदस्यों ने दोनों विधेयक पर शोर किया।
भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि हम दोनों विधेयक के विरोध में नहीं हैं मगर यह संवेदनशील विषय है और इस पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए। कोलकाता कैश कांड में पकड़े गये और एक दिन पहले कोलकाता हाई कोर्ट से राहत पाये तीनों कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप भी सदन की कार्यवाही में शामिल हुए।