बाबूलाल मरांडी से बहुत दूर है नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी, चौथी बार नोटिस
सुप्रीम कोर्ट से राहत के बावजूद भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बहुत दूर दिख रही है। दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका मंगलवार को अदालत द्वारा खारिज कर दिया। वहीं बाबूलाल मरांडी की सदस्यता रद करने के मुद्दे पर झारखंड हाई कोर्ट जाने को कहा। बुधवार को हाई कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई हुई। जिसमें विधानसभा की ओर से लॉ प्वाइंट पर काउंटर एफिडेविट दायर किया गया तो बाबूलाल के वकीलों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय ले लिया। अब इस मामले की सुनवाई गुरूवार को होगी।
बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल के नेता के नाते सदन में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने का मामला है। विधानसभा अध्यक्ष ने दसवें शिड्यूल के तहत इसे दलबदल का मामला मानते हुए स्वत: संज्ञान लेकर अपनी अदालत में सुनवाई शुरू की थी। स्वत: संज्ञान लेने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में मामला गया तो हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की नोटिस पर 13 जनवरी तक रोक लगाते हुए उनसे जवाब मांगा था। बहरहाल इस मामले में हाई कोर्ट से राहत मिल जाने के बावजूद बाबूलाल मरांडी के लिए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी आसान नहीं है। बाबूलाल मरांडी की ओर से दलील थी कि मामले में किसी ने शिकायत नहीं की है।
इधर कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह की शिकायत पर विधानसभा ने बाबूलाल मरांडी को चौथा नोटिस पकड़ा दिया है। इसके पहले विधायक भूषण तिर्की और पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने दलबदल कानून के तहत बाबूलाल मरांडी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद करने की मांग की थी जिसमें बाबूलाल मरांडी को विधानसभा की तरफ से नोटिस जारी है। दीपिका पांडेय सिंह मामले में 21 जनवरी तक जवाब देने को कहा गया है। इस तरह तीन और मामले बाबूलाल के खिलाफ चल रहे हैं। और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी करीब एक साल से खाली है। विधानसभा की सुनवाई की प्रक्रिया को देखते हुए लगता है कि तीनों मामलों के निष्पादन में समय तो लगेगा। विधानसभा के पिछले टर्म में जब भाजपा के रघुवर दास की सरकार थी तो उस समय बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के विधायकों के दलबदल का मामला विधानसभा अध्यक्ष की अदालत में कोई चार साल तक चला था।