झारखंड: हाई कोर्ट ने भुखमरी को परिभाषित करने का राज्य सरकार को दिया आदेश
भूख से मौत बड़ा वेग शब्द है। मगर आए दिन झारखंड के गरीब आदिवासियों के बीच से भोजन के अभाव में मरने की खबरें आती हैं। ये बात सामने आती है कि घर में अनाज नहीं था चूल्हे नहीं जले थे। मगर सीधे तौर पर किसी की भूख से मौत नहीं होती। भोजन के अभाव में आदमी बीमार पड़ता है और बीमारी से मौत होती है।चिकित्सा रिपोर्ट में वह बीमारी दिखती है।
90 के दशक में संयुक्त बिहार के समय पलामू में अकाल की स्थिति थी। भूख से मरने की खबरें आ रही थीं मगर जिला प्रशासन भूख से मौत की घटना से इनकार कर रहा था। तब तत्कालीन राजस्व एवं सहाय सचिव ने लिखा था कि ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से देखने की जरूरत है। सीधे तौर पर मौत नहीं होती मगर भोजन के अभाव में लोग बीमार पड़ते हैं और बीमारी से मौत होती है।इस मामले को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। राज्य सरकार को आदेश दिया है कि भुखमरी को परिभाषित करे।
मुख्य न्यायाधीश न्याय मूर्ति डॉ रविरंजन एवं न्याय मूर्ति एस एन प्रसाद की पीठ ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई कर रही है। यह मामला बोकारो में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत से जुड़ा हुआ है। साल 2020 में बोकारो में भूखल घासी और उसके दो बच्चों की मौत हो गई थी। मौत की वजह भूख बताई गई। अब इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा अनाज वितरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की भी जानकारी मांगी है।