कर्नाटक में बागी विधायकों पर फैसला मंगलवार तक टला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यथास्थिति बरकरार रहे
कर्नाटक में कई दिनों से कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर मंडरा रहे संकट को लेकर आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस-जेडीएस के 10 बागी विधायकों की ओर से दायर याचिका पर अहम सुनवाई हुई। कर्नाटक मामले पर चली एक लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बागी विधायकों की याचिका पर अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। तब तक स्थिति ऐसे ही बनी रहेगी। अब इस मसले पर मंगलवार यानी 16 जुलाई को सुनवाई होगी।
'स्पीकर नहीं लेते हैं फैसला तो उनके खिलाफ जारी किया जाएगा अवमानना नोटिस'
बागी विधायकों ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफे का फैसला करने के लिए स्पीकर को एक या दो दिन का समय दिया जाए। इसके बाद भी यदि वह फैसला नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ विधायक अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा।
'स्पीकर फैसला लेने के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं'
इससे पहले सुनवाई के दौरान विधायकों की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए कहा कि स्पीकर फैसला लेने के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। रोहतगी ने कोर्ट में बताया कि विधानसभा स्पीकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विधायक सुप्रीम कोर्ट क्यों गए थे, मैं तो यहां था मेरे पास आना था। उन्होंने कहा कि स्पीकर के खिलाफ अदालत को एक्शन लेना चाहिए। वो बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें इस्तीफा पढ़ना है, लेकिन एक लाइन के इस्तीफे में वह कितनी बार पढ़ेंगे।
‘क्या विधानसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट की अथॉरिटी को चैलेंज कर रहे हैं’
मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने राजनीतिक वजह से हमारा इस्तीफा मंजूर नहीं किया, जिस पर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि क्या विधानसभा स्पीकर सुप्रीम कोर्ट की अथॉरिटी को चैलेंज कर रहे हैं। क्या स्पीकर हमें ये कह रहे हैं कि अदालत को इससे दूर रहना चाहिए। स्पीकर की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा नहीं, हम सिर्फ प्रक्रिया बता रहे हैं।
जानें क्या बोले अभिषेक मनु सिंघवी
दूसरी ओर स्पीकर की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि उनके पास संवैधानिक पद है। साथ ही, उन्होंने ये भी कहा कि अभी विधायकों पर सदस्यता खत्म करने का भी मामला चल रहा है, ऐसे में इस्तीफे की बात कहां से आ सकती है। स्पीकर के साथ बैठक में विधायकों ने माना है कि वह रिजॉर्ट गए लेकिन इस्तीफे के लिए स्पीकर से नहीं मिले।
'स्पीकर संवैधानिक कानून जानते हैं, उन्हें इस तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता'
विधानसभा स्पीकर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुझे (स्पीकर) को विधायकों की अयोग्यता के लिए याचिका पर निर्णय लेने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य किया गया। कोर्ट में सिंघवी ने कहा कि स्पीकर विधानसभा के बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, वे संवैधानिक कानून को जानते हैं। उन्हें इस तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता है।
'आप हमें बता दीजिए कि स्पीकर की जिम्मेदारी क्या है'
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की तरफ से पेश हुए राजीव धवन ने कहा कि लोगों ने एक जनादेश दिया है, ये विधायक उसका अपमान कर रहे हैं। आप हमें बता दीजिए कि स्पीकर की जिम्मेदारी क्या है। संविधान में कहा गया है कि स्पीकर अपने हिसाब से इस्तीफे पर फैसला कर सकता है।
गुरुवार शाम को बेंगलूरू में विधानसभा स्पीकर से मुलाकात कर वापस मुंबई पहुंचे विधायक
दूसरी ओर बता दें कि आज से ही कर्नाटक विधानसभा का मॉनसून सत्र भी शुरू हो रहा है। इसे लेकर कांग्रेस और जेडीएस की ओर से सभी विधायकों को व्हिप जारी किया गया है। वहीं, कर्नाटक के बागी विधायक गुरुवार शाम को बेंगलूरू में विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार से मुलाकात करके वापस मुंबई पहुंच गए हैं। इससे पहले इन विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने गलत फॉर्मेट बताकर अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस मामले में गुरुवार को भी हुई थी सुनवाई
इस मामले की गुरुवार को भी सुनवाई हुई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी बागी विधायकों को निर्देश दिए थे कि वे गुरुवार शाम 6 बजे कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार से मुलाकात करें। इस दौरान वे उन्हें अपने-अपने इस्तीफे की जानकारी दें। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही स्पीकर रमेश कुमार को भी निर्देश दिए थे कि उनकी ओर से इस्तीफों पर गुरुवार को ही फैसला लिया जाए।
विधायकों के बाद स्पीकर ने भी खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
हालांकि स्पीकर रमेश कुमार ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई भी विधायकों की याचिका वाले मामले के साथ ही आज होगी। स्पीकर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इस तरह का निर्देश नहीं दे सकता। वह अपना निर्देश वापस ले।
‘बागी विधायकों के इस्तीफों की जांच के लिए समय चाहिए’
स्पीकर रमेश कुमार का कहना है कि उन्हें बागी विधायकों के इस्तीफों की जांच के लिए समय चाहिए। साथ ही उन्होंने उन आरोपों को भी नकार दिया जिनमें उनपर धीमी गति से जांच करने की बात कही जा रही थी।
‘मैं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करूंगा’
कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने गुरुवार को कहा था कि उन्हें सत्ताधारी कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे नियत फॉर्मेट में मिले थे। कुमार ने कहा था, ‘विधायकों ने अपने इस्तीफे मेरे कार्यालय में नियत फॉर्मेट में लिखे थे। मैं उन पर विचार करूंगा और उनकी बात निजी तौर पर सुनने के बाद फैसला लूंगा’। उन्होंने कहा था, ‘मैं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करूंगा कि मैंने मामले पर कार्रवाई कानून और दिन में पूर्व में जारी अपने आदेश के अनुसार की है’।
कितने विधायकों ने दिया इस्तीफा?
कर्नाटक में अब तक कांग्रेस के 10, जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। इसके साथ ही 2 निर्दलीय विधायकों ने भी इस्तीफा देकर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इनमें उमेश कामतल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जारकिहोली, शिवाराम हेब्बर, एच विश्वनाथ, गोपालैया, बी बस्वराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमाशेखरा, प्रताप गौड़ा पाटिल, मुनिरत्ना और आनंद सिंह शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस के निलंबित विधायक रोशन बेग ने भी मंगलवार को इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने की बात कही।
कर्नाटक में किसको कितनी सीटें?
कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं, बहुमत का आंकड़ा 113 है। इसमें बीजेपी के 105 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37 विधायक हैं। इस तरह से दोनों के पास कुल 117 विधायक हैं। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं लेकिन, 13 विधायकों के इस्तीफे से गठबंधन सरकार के पास 104 विधायक रह जाते हैं। हालांकि, अभी तक विधानसभा अध्यक्ष ने 13 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)