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01 April 2023

केसीआर बोले- किसानों के हितों के लिए लड़ाई लड़ूंगा, अपने साथ देश की स्थिति सुधारने में बड़ी भूमिका निभाएं

file photo

हैदराबाद । बीआरएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि वे देशभर के किसानों के हितों की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। देश में किसानों की जो पीड़ा है, अब उसकी लड़ाई लड़ूंगा। उन्होने कहा कि किसान संगठन में इतनी ताकत है कि किसानों के हित की लड़ाई लड़ी जा सकती है। कुछ भी असंभव नहीं है। हर समस्या का समाधान होता है।

महाराष्ट्र के किसान संगठनों के सैकड़ों नेता हैदराबाद में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री केसीआर से पटका पहनकर बीआरएस पार्टी में शामिल हो गए। महाराष्ट्र में बीआरएस की लगातार दो रैली के बाद नेताओं का बीआरएस की सदस्यता ग्रहण करने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस अवसर पर मंत्री हरीश राव, सत्यवती राठौर, सांसद बीबी पाटिल, पल्ला राजेश्वर रेड्डी, विधायक बाल्का सुमन, जीवन रेड्डी, बीआरकेएस अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी, बीआरएस महासचिव रवि कोहर, हिमांशु तिवारी, माणिक कदम, महाराष्ट्र शेतकरी संगठन के युवा अध्यक्ष सुधीर बिंदु, कैलाश तवर, शरद मरकड, सुवर्णा काठे उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि तेलंगाना में हिमालय नहीं है, लेकिन हमारा संकल्प हिमालय जैसा है। मैं चाहता हूं कि देश के किसान इतनी महत्वपूर्ण भूमिका में हों कि वे अपनी स्थिति के साथ देश की स्थिति सुधारने में बड़ी भूमिका अदा करें। देश में किसी चीज की कमी नहीं है, लेकिन सिंगापुर हमसे काफी आगे है। सिंगापुर हर वर्ष पांच करोड़ कारगो परिचालन करता है तो विशाल देश भारत मात्र पैंतीस लाख कारगो परिचालन हर वर्ष कर पाता है, हम कब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला कर सकेंगे? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ट्रकों की गति एक सौ पंद्रह किलोमीटर प्रति घंटा है जबकि भारत में ट्रक की गति पचीस से पैंतालीस किलोमीटर प्रतिघंटा है। हमें विश्व स्तर पर आगे आने के लिए प्रयत्न करना है।

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केसीआर ने अपने संबोधन में कहा कि तेलंगाना में धान की फसल छप्पन लाख एकड़ में लगी हुई है जबकि देश भर में चौरानवे लाख एकड़ में धान की फसल लगी हुई है, यह कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है। तेलंगाना में कृषि का विकास हुआ है, किसानों की आत्महत्या की घटनाएं बंद हो चुकी है।जब तेलंगाना में किसानों की समस्याओं का समाधान हो रहा है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं हो पा रहा है? महाराष्ट्र का बजट तेलंगाना के बजट से बड़ा है और उस राज्य की सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है, दाल में कुछ काला है, यह समझ में आता है। जब हमारे पास वोट का हथियार है तो सड़कों पर विरोध और झगड़े की कोई जरूरत नहीं है। सिर्फ अपने हथियार यानी वोट का इस्तेमाल करना ही काफी है। अगर हम अपना वोट डालेंगे तो किसान साम्राज्य आएगा। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। इससे पहले 'शेतकारी कामगार पार्टी' ने महाराष्ट्र में 76 सीटों पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हम अब 200 सीटें जीतेंगे। इसके लिए दृढ़ निश्चय की जरूरत है।

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OUTLOOK 01 April, 2023
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