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04 October 2020

बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी अकेली, चिराग पासवान बन पाएंगे नए मौसम वैज्ञानिक?

File Photo

बिहार चुनाव के बाद सत्ता में अपनी वापसी सुनिश्चित करने के लिए लिखे गए एनडीए की पटकथा में एक बड़ा मोड़ आया है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है। हालांकि, पार्टी को उम्मीद है कि चुनाव के बाद राज्य में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में लोजपा-भाजपा की मजबूत सरकार बनेगी।

राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के साथ वैचारिक मतभेद बताते हुए लोजपा ने दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद अपने दम पर चुनाव लड़ने का संकल्प लिया है। रविवार को हुई बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया, "कई सीटों पर जेडीयू के साथ वैचारिक लड़ाई हो सकती है, इसलिए मतदाता तय कर सकता है कि कौन सा उम्मीदवार बिहार के हित में बेहतर है।" पार्टी ने अपने बयान में आगे कहा, पार्टी राज्य में अपना विजन " बिहार फर्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट" लागू करना चाहता था, लेकिन हम समय पर गठबंधन में किसी भी सहमति तक नहीं पहुँच पाए।

दिलचस्प बात ये है कि लोजपा ने इस बात पर जोर देने की कोशिश की है कि भाजपा के साथ उसके संबंधों में कोई कड़वाहट नहीं है। पार्टी ने कहा, “लोकसभा में भाजपा के साथ एक मजबूत गठबंधन है और हम एक ही गठबंधन में बिहार चुनाव लड़ना चाहते थे। बीजेपी और एलजेपी के बीच कोई कड़वाहट नहीं है। चुनाव परिणामों के बाद, पार्टी के सभी जीतने वाले उम्मीदवारों को बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के रोडमैप के आधार पर भाजपा-लोजपा सरकार बनाने में मदद मिलेगी। लोजपा के सभी विधायक भाजपा के नेतृत्व में बिहार फस्ट बनाने की दिशा में काम करेंगे।”

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लोजपा संसदीय बोर्ड के फैसले से लंबे समय के कयासों पर से आज पर्दा उठ गया कि पार्टी एनडीए में बने रहेगी या अलग से चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने 43 सीटों की मांग की थी, लेकिन कथित तौर पर गठबंधन के तहत उसे केवल 25 सीटों की पेशकश की जा रही थी।

इससे पहले, पार्टी ने घोषणा की थी कि वो 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ कई बैठकों के बाद कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला, जिसके बाद पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया। 

हाल के दिनों में चिराग नीतीश कुमार के बेहद आलोचक रहे हैं। और चिराग के इस कदम से यह स्पष्ट हो जाता है कि उनकी पार्टी अपने उम्मीदवारों को जेडीयू के खिलाफ मैदान में उतारेगी लेकिन भाजपा के खिलाफ नहीं। एलजेपी स्पष्ट रूप से चुनाव के बाद के परिदृश्य की तलाश में है, जहां वो भाजपा के नेतृत्व में नीतीश कुमार के नेतृत्व को दरकिनार कर सरकार बना सकती है।

चिराग के पिता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान जो पिछले कुछ हफ्तों से अस्वस्थ हैं, उन्हें मौसम वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है क्योंकि, चुनावों से ठीक पहले उनकी जीत हासिल करने की अदूरदर्शी क्षमता थी। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के बाद एनडीए छोड़ दिया, यूपीए में शामिल हो गए और केंद्रीय मंत्री बन गए। 2014 में, वो एनडीए में लौट आए और तब से मोदी सरकार में मंत्री बने हुए हैं।

बिहार में हालांकि, लोजपा को वर्षों से अच्छी सफलता नहीं मिली है। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनावों को छोड़ दे जिसमें पार्टी किंगमेकर के रूप में उभरी थी, लेकिन इसे भुनाने में सफल नहीं हो सके। पार्टी को अब अपने युवा अध्यक्ष चिराग के नेतृत्व में इस चुनाव में वापसी करने की उम्मीद है। लेकिन हर किसी के दिमाग में अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चिराग पुराने रास्ते से हटकर इस कहावत को साबित करेंगे: अपने पिता की तरह चुनावी घंटी बजाने वाला, जो जानता है कि चुनाव से पहले हवा किस तरफ बहेगी?

 

 

 

 

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TAGS: LJP, Bihar Polls, Chirag Paswan, New Mausam Vaigyanik, Bihar Assembly Election, Bihar Election 2020
OUTLOOK 04 October, 2020
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