मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही 10 दिन के लिए स्थगित, कमलनाथ बोले- ऐसे माहौल में 'फ्लोर टेस्ट' कराना अलोकतांत्रिक
मध्य प्रदेश में बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब नया मोड़ आ गया है। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया और उनके अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में विधायकों से संविधान के मर्यादा के अनुरूप दायित्व निभाने की नसीहत दी थी, जिसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दस दिन तक स्थगित करने का फैसला लिया। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में बहुमत की कमी है। इस पर राज्य सरकार में वित्त मंत्री तरुण भनोट ने मांग की, सभी लापता कांग्रेस विधायकों को वापस विधानसभा में लाया जाना चाहिए।
‘ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट करना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक’
मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन को चिट्ठी लिखी है। इसमें सीएम ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं बनता है।
सीएम कमलनाथ ने लिखा, 'फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों। ऐसा न होने पर फ्लोर टेस्ट कराना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।'
विधायकों को बयान देने को किया जा रहा है मजबूर
कमलनाथ ने अपनी चिट्टी में आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है।
राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को दिया था फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश
बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को राज्यपाल को उनकी चिट्ठी का जवाब दिया। कमलनाथ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 175(2) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया। शीर्ष अदालत ने रेबिया एवं बमांग बनाम अरुणाचल प्रदेश के उपाध्यक्ष मामले में इस बाबत व्यवस्था दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में रज्यपाल और विधानसभा के बीच के संबंधों की व्याख्या की थी।
‘विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं’
सीएम कमलनाथ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पहले से दबावमुक्त हों। सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन के चिट्ठी का भी जवाब दिया। उन्होंने साफ किया कि विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने से पहले क्या बोले राज्यपाल
राज्यपाल लालजी टंडन ने अपने अभिभाषण में कहा कि सभी सदस्यों को शुभकामना के साथ सलाह देना चाहता हूं कि प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं। लालजी टंडन ने जैसे ही अपनी बात पूरी की तो विधानसभा में हंगामा हुआ। तबीयत खराब होने की वजह से राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, वह सिर्फ अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ पाए।
आधी रात को कमलनाथ ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
इससे पहले विधानसभा सचिवालय की तरफ से रविवार रात जारी की गई कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का कोई जिक्र नहीं किया गया था। हालांकि देर रात राज्यपाल लालजी टंडन ने सरकार को दूसरा पत्र जारी कर दिया, जिसमें सरकार को विश्वास मत के दौरान हाथ उठाकर मत विभाजन कराने का आदेश दिया गया था। इन सबके बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने देर रात 12.20 बजे राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात भी की थी।
कमलनाथ सरकार अल्पमत में है- शिवराज
कमलनाथ से पहले बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। वहीं, जब बहुमत परीक्षण को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवाल किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि बहुमत परीक्षण पर स्पीकर जवाब देंगे। शिवराज ने कमलनाथ के बयान पर तुरंत जवाब दिया और कहा कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है।
विधानसभा की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं
बीती रात मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा कि फ्लोर टेस्ट पर स्पीकर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि वे पहले ही राज्यपाल को लिखित सूचना दे चुके हैं कि उनकी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन बंधक बनाए गए विधायकों को पहले छोड़ा जाए। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस इसलिए है क्योंकि स्पीकर की ओर से विधानसभा के कार्यक्रम की जो लिस्ट जारी की गई है उसमें राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं किया गया है।
रात ढाई बजे भोपाल पहुंचे बीजेपी विधायक, कांग्रेस वाले बेंगलूरू में
इस बीच बीजेपी विधायक देर रात 2.30 बजे भोपाल पहुंचे, सभी विधायकों ने एक सुर में कहा कि कमलनाथ सरकार का जाना तय है। हालांकि कांग्रेस के बागी विधायक अभी तक बेंगलूरू में ही हैं। बागी विधायकों ने भोपाल पहुंचने के लिए सुरक्षा की मांग की है। 22 बागियों में से सिर्फ 6 के इस्तीफे मंजूर किए गए हैं यानी बाकी 16 से कमलनाथ को उम्मीद है। बता दें कि रविवार को कैबिनेट की बैठक से निकलते वक्त मुख्यमंत्री ने ऑल इज वेल का दावा भी किया।
विधायकों का कराया गया कोरोना टेस्ट
जयपुर से आए कांग्रेस के विधायकों का कोरोना टेस्ट कराया गया। बताया गया था कि कांग्रेस के दो विधायकों में कोरोना जैसे लक्षण दिखे जिसके बाद विधायकों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इसी के बाद से कांग्रेस सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने की मांग कर रही है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस की योजना है कि इस बहाने बागी होकर बीजेपी के खेमे में पहुंचे विधायकों से संपर्क साधा जा सकेगा।
22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे
मध्य प्रदेश होली से एक दिन पहले 9 मार्च को सियासी उठापटक तेज हो गई थी। राज्य के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 कांग्रेस विधायक अचानक भोपाल से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु चले गए। इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। इस सभी विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए हैं। स्पीकर ने 6 मंत्रियों का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन 16 विधायकों का इस्तीफा अभी उन्होंने स्वीकार नहीं किया है।
कमलनाथ कैसे बचा सकते हैं सरकार
एमपी के सियासी उठापटक के बीच अब दो स्थितियां बन गईं हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल सीटें हैं 230, दो विधायकों के निधन की वजह से ये संख्या घटकर 228 रह गई है। कांग्रेस के 6 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो चुका है। इसलिए सदन रह गया 222 सदस्यों का। इस लिहाज से बहुमत साबित करने के लिए 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
6 विधायकों को इस्तीफा मंजूर होने के बाद अभी कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं यानी बहुमत से चार कम और बीजेपी के पास 107 विधायक हैं यानी बहुमत से 5 कम। ऐसे में किंग मेकर होंगे गैर बीजेपी गैर कांग्रेस विधायक, जिसमें दो बहुजन समाज पार्टी, एक समाजवादी पार्टी और चार निर्दलीय हैं। अगर कमलनाथ सरकार बेंगलूरू में रुके 16 विधायकों का समर्थन हासिल कर लेती है तो निर्दलीय और एसपी, बीएसपी विधायकों के समर्थन के बाद सरकार बच सकती है।