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30 November 2019

फ्लोर टेस्ट से पहले बढ़ीं उद्धव सरकार की मुश्किलें, डिप्टी सीएम पद पर कांग्रेस-एनसीपी में फंसा पेच

File Photo

महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी सरकार की मुश्किलें हर बीतते दिन के साथ बढ़ रही है। शनिवार को बहुमत साबित करने से पहले डिप्टी सीएम और स्पीकर के पद को लेकर कांग्रेस और एनसीपी लगभग आमने-सामने आ गई हैं। कांग्रेस ने ऐन मौके पर डिप्टी सीएम की मांग की है। दरअसल, कांग्रेस की ये मांग उस समय सामने आई जब शुक्रवार को एनसीपी नेता अजित पवार ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी को उपमुख्यमंत्री पद मिलेगा, जबकि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस से होगा।

पवार के बयान के बाद एक रिपोर्ट सामने आई कि कांग्रेस अब उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है और स्पीकर का पद एनसीपी को देने के लिए तैयार है। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी अब उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है। पार्टी के नेता का कहना है कि पहले उसने स्पीकर के पद की मांगा था, जिस पर तीनों पक्षों के बीच सहमति बन गई थी, लेकिन अब कांग्रेस उपमुख्यमंत्री का पद मांगने के साथ, स्पीकर पद को छोड़ने के लिए तैयार। उनका कहना है कि वह एनसीपी को स्पीकर पद देने के लिए तैयार है।  

एक अन्य कांग्रेसी नेता ने कहा कि दो उप-मुख्यमंत्रियों (कांग्रेस से एक और एनसीपी से एक) के विचार पर पार्टी का कोई विरोध नहीं था। उनका कहना है कि वह इसलिए डिप्टी सीएम की मांग कर रही है क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सरकार का चेहरा हैं।  

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किशन कठोरे बीजेपी की ओर से होंगे विधानसभा स्पीकर पद के उम्मीदवार

महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर पद के लिए कांग्रेस ने स्पीकर के नाम का ऐलान कर दिया है। बालासाहेब थोराट के मुताबिक, सोनिया गांधी ने स्पीकर पद के लिए नाना पटोले का नाम फाइनल किया है। वहीं अब इस रेस में बीजेपी ने भी अपना खड़ा करने का फैसला किया है। भाजपा ने इस पद के लिए किशन कठोरे को अपना प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस ने स्पीकर के लिए नाना पटोले के नाम का किया ऐलान

बहुमत परीक्षण के पहले शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के बीच डिप्टी सीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। एक तरफ कांग्रेस जहां अपनी पार्टी के लिए एक डिप्टी सीएम का पद चाहती है वहीं एनसीपी और शिवसेना ने इसे लेकर असहमति का इजहार किया है। वहीं विधानसभा के स्पीकर पद के लिए नाना पटोले का नाम कांग्रेस की तरफ से सामने किया गया है। कांग्रेस नेता बाबासाहब थोराट ने इस बात की पृष्टि की है।

उद्धव सरकार को साबित करना  है आज बहुमत

गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद आज प्रदेश में उद्धव सरकार की पहली परीक्षा है यानी शनिवार को उद्धव सरकार को बहुमत साबित करना होगा। इसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। ठाकरे सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन महा विकास आघाड़ी का ये दावा है कि उनके पास 162 विधायकों का समर्थन है। राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 है। विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 288 है। बहुमत साबित करने के अलावा बताया जा रहा है कि रविवार को स्पीकर का चुनाव होगा वहीं, सोमवार को राज्यपाल का अभिभाषण होगा।

विधानसभा के विशेष सत्र में क्या

शनिवार को बुलाए गए महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में सबसे पहले एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल प्रोटेम स्पीकर का चार्ज लेंगे। इसके बाद सदन के भीतर मंत्रियों का परिचय कराया जाएगा। नेता विपक्ष के नाम का ऐलान होने के बाद ठाकरे सरकार को फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करना होगा।

जानकारी के मुताबिक, शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होने की उम्मीद नहीं है, दरअसल, सरकार विधानसभा स्पीकर पद पर फैसला लेने के लिए कुछ और वक्त चाहती है।

प्रोटेम स्पीकर को बदलने पर विचार

विधानसभा प्रोटेम स्पीकर को बदलने को लेकर भी चर्चा की खबरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को इसे लेकर ट्वीट कर शिवसेना की नई सरकार पर निशाना साधा था। देवेंद्र फडणवीस ने लिखा था कि पहली कैबिनेट में सरकार ने किसानों की राहत पर चर्चा नहीं की बल्कि बहुमत को लेकर चर्चा की। यदि बहुमत नहीं है तो फिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। प्रोटेम स्पीकर को बदलने पर क्यों विचार हो रहा है। महाराष्ट्र को जवाब चाहिए।

विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं दिलीप

प्रोटेम स्पीकर बनाए गए दिलीप वलसे पाटिल महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चित नाम हैं। वह राज्य की विधानसभा में स्पीकर भी रह चुके हैं। स्पीकर के अलावा वह राज्य में बिजली, वित्त और उच्चतर तकनीकी शिक्षा मंत्री भी रहे हैं।अंबेगांव विधानसभा सीट से 6वीं बार विधायक बने पाटिल को शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता है। वे कभी पवार के निजी सलाहकर (पीए) भी रह चुके हैं।

फ्लोर टेस्ट से पहले ही फडणवीस ने मानी थी हार

महाराष्ट्र के अभी तक के इतिहास में कोई भी सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल नहीं हुई है। पिछले दिनों बने राजनीतिक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस के फ्लोर टेस्ट में फेल होने की स्थिति बन रही थी, लेकिन उन्होंने सदन में शक्ति परीक्षण से पहले ही हार मान ली और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। फडणवीस के सरकार बनाने के बाद शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जल्द बहुमत सिद्ध करने के फैसले के बाद देवेंद्र फडणवीस ने शपथ के 80 घंटे बाद इस्तीफा दे दिया। फडणवीस के इस्तीफे के बाद छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में 28 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

मोदी को ‘छोटे भाई’ उद्धव के साथ सहयोग करना चाहिए: शिवसेना

शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के संबंध भाई समान हैं और मोदी की यह जिम्मेदारी है कि वह राज्य की कमान संभाल रहे अपने ‘छोटे भाई’ के साथ सहयोग करें। केंद्र को संबोधित करते हुए शिवसेना ने कहा कि दिल्ली को महाराष्ट्र की जनता के निर्णय का सम्मान करना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि राज्य सरकार की स्थिरता को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।

गुरुवार शाम उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी द्वारा उन्हें दी गई शुभकामनाओं की पृष्ठभूमि में शिवसेना ने यह टिप्पणी अपने मुखपत्र सामना में की। मोदी शिवसेना प्रमुख ठाकरे को पहले कभी अपना ‘छोटा भाई’ बता चुके हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्ते तल्ख हो गए थे।

मुख्यमंत्री उद्धव के साथ 6 मंत्रियों ने ली थी शपथ

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में नई सरकार के सीएम के तौर पर शपथ ली। उद्धव के साथ शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई (दोनों शिवसेना), जयंत पाटिल, छगन भुजबल (दोनों एनसीपी), बालासाहेब थोराट, नितिन राउत (दोनों कांग्रेस) शामिल हैं।

इससे पहले 23 नवंबर की सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद और एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही दोनों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।

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OUTLOOK 30 November, 2019
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