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04 October 2024

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयासों का नतीजा: राउत

शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया और इस बात पर जोर दिया कि यह सामूहिक प्रयासों का परिणाम है और इसका श्रेय किसी एक पार्टी या नेता को नहीं दिया जा सकता।

पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि यदि भाजपा नीत केंद्र सरकार का शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के पीछे मकसद महाराष्ट्र में लोकसभा में अपनी हार की भरपाई करना है, तो उसकी 'भिक्षा' की जरूरत नहीं है, क्योंकि मराठी एक महान भाषा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया। यह कदम महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उठाया गया है।

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शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, "पिछले 30 से 35 वर्षों में प्रत्येक राजनीतिक नेता और मुख्यमंत्री ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए काम किया। यह बहुत बड़ा सम्मान है। यह सामूहिक योगदान के कारण है, न कि किसी एक पार्टी या किसी नेता के कारण।"

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल दशकों से संसद के प्रत्येक सत्र में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।

भाजपा पर कटाक्ष करते हुए राउत ने कहा कि भाजपा ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर कागज पर तो इसका सम्मान किया है, लेकिन उसे उद्योगों को महाराष्ट्र से बाहर जाने से रोकना चाहिए।

राज्य विधानसभा चुनावों से पहले मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग ने राजनीतिक गति पकड़ ली है। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार ने इस साल की शुरुआत में पूर्व राजनयिक ज्ञानेश्वर मुले की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।

भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को "शास्त्रीय भाषाओं" के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का फैसला किया, जिसमें तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया। अब तक भारत में छह शास्त्रीय भाषाएँ थीं - तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया।

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TAGS: Shivsena, uddhav Thackeray, sanjay raut, marathi language
OUTLOOK 04 October, 2024
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