भाड़े की भीड़ जुटती है प्रधानमंत्री की रैलियों में- मायावती
मायावती ने कहा कि भाजपा की आशा के अनुरूप इन रैलियों के सफल साबित नहीं होने से भी यह साबित होता है कि लोकसभा आमचुनाव के बाद इनकी केन्द्र की सरकार की वादाखिलाफी के साथ-साथ इस सरकार की घोर जनविरोधी नीतियों व गलत कार्यकलापों के कारण भाजपा का जनाधार काफी खिसक गया और इनकी हालत यहाँ काफी ज्यादा ख़राब है। यही कारण है कि भाजपा अभी तक विधानसभा आमचुनाव के लिये अपने उम्मीद्वारों के नाम तक भी घोषित नहीं कर पा रही है। वैसे भी पिछले सन् 2012 के विधानसभा आमचुनाव में भाजपा को यहाँ मात्र 47 सीटें व 15 प्रतिशत ही वोट मिले थे।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री इस रैली में शामिल नहीं हो सके, परन्तु मोबाइल से रैली को सम्बोधित करने की औपचाकिता पूरी की। मायावती जी ने उनके भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ज़्यादातर पुरानी व घिसी-पिटी बातें ही दोहरायी हैं और जनहित व जनसमस्या के निदान से सम्बन्धित लोगों की अभिरूची की कुछ भी नई बात नहीं की, जिससे लोगों को काफी निराश होना पड़ा। मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो बात कल गुजरात में कहीं उसी बात को आज फिर बहराइच में दोहराते हुये यह कहना कि संसद में विपक्ष उन्हें बोलने नहीं दे रहा है, इसलिए वे बाहर बोलते हैं। इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री को और वह भी उस पार्टी के नेता को जिसको लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त हो, उसको इस प्रकार से रोना-धोना करना व उस माध्यम से जनता को वरग़लाने का प्रयास करना थोड़ा भी शोभा नहीें देता है। वास्तव में यह तो ‘‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे‘‘ की कहावत को ही चरितार्थ करता है। साथ ही ऐसा कहकर प्रधानमंत्री अपनी व अपनी सरकार की ज़िम्मेदारी व जवाबदेही से भाग रहे हैं, लेकिल जनता इन्हें माफ करने वाली नहीं है।