नतीजों से पहले मायावती की कार्रवाई, पूर्व कैबिनेट मंत्री को दिखाया बाहर का रास्ता
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के बाद सभी दलों में भीतरघातियों की तलाश शुरू हो गई है। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के मंत्री मंडल से बर्खास्त होने के बाद अब बसपा ने अपनी पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय पर गाज गिरा दी है और उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है। हालांकि इस बात की संभावना ज्यादा है कि रामवीर उपाध्याय भी बसपा पर पलटवार करें।
लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने फूंक-फूंक कर कदम रखे। हालांकि अभी नतीजे नहीं आए हैं, लेकिन पार्टी स्तर पर बूथवार जानकारी जुटाई जा रही है। इसके लिए भाजपा और बसपा ने बकायदा पदाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। इसके अलावा चुनाव में भीतरघात करने वाले नेताओं की खोजबीन शुरू हो गई है।
एक दिन पहले भाजपा ने कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्री मंडल से बाहर का रास्ता दिखाया तो दूसरे दिन बसपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसके पहले रामवीर उपाध्याय को पार्टी की ओर से अल्टीमेटम भी जारी किया गया था। रामवीर उपाध्याय के भाई मुकुल उपाध्याय को एक साल पहले ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में निकाला गया था। रामवीर उपाध्याय पर आरोप है कि उन्होंने आगरा, फतेहपुर और अलीगढ़ सहित अन्य सीओं पर बसपा द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों का खुलकर विरोध किया और विरोधी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन किया।
बसपा ने विधानसभा अध्यक्ष को भी पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बसपा के मुख्य सचेतक के पद से रामवीर उपाध्याय को हटाया जाता है। रामवीर को भेजे पत्र में बसपा ने कहा है कि अब बसपा के किसी भी कार्यक्रम या बैठक आदि में भाग नहीं लेंगे और न ही आपको आमंत्रित किया जाएगा।
कल हाथरस में प्रेस वार्ता करेंगे रामवीर
इस बारे में रामवीर उपाध्याय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमें प्रेस के माध्यम से ही जानकारी मिली है और अभी इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे। कल हाथरस में दो बजे प्रेस वार्ता आमंत्रित की गई है, उसी में जो कहना है, कहेंगे।
कुछ और नेताओं पर गिर सकती है गाज
लोकसभा चुनाव के दौरान सभी दलों में असंतुष्टों की भरमार रही। असंतुष्टों को मनाने के लिए सभी दलों ने डैमेज कंट्रोल किया, लेकिन कुछ नेता खुद ही दूसरे दलों में चले गए और जो नहीं गए या तो वह साइलेंट हो गए या उन्होंने पार्टी में रहते हुए भीतरघात किया। अब ऐसे ही नेताओं पर गाज गिरना शुरू हुआ है। माना जा रहा है कि परिणामों के बाद बसपा के अलावा अन्य दल जल्द ही ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने वाले हैं।