न्यायपालिका को बार-बार अपमानित कर रही है मोदी सरकारः मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावाती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ न्यायपालिका को सरकार की बार-बार अपमानित करने और नीचा दिखाने की प्रवृत्ति रही है। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका का न्यापालिका के साथ ऐसा विद्वेषपूर्ण बर्ताव सही नहीं है। विपक्षी दलों के साथ ही देश की न्यायपालिका के प्रति केंद्र सरकार का यह व्यवहार उसकी हठधर्मिता और निरंकुशता को दर्शाता है।
मायावती ने कहा कि खुद कानून मंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्री सार्वजनिक तौर पर यह कहते रहे हैं कि केंद्रीय कानून मंत्रालय कोई डाकघर नहीं है, जो जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की सिफारिश पर आंख बंद कर अमल करता रहे। उन्होंने कहा कि कानून मंत्रालय अगर डाकघर नहीं है तो उसे कोतवाली बनने का भी अधिकार कानून और संविधान ने नहीं दिया है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार के रवैये के कारण न्यायपालिका आज अभूतपूर्व संकट झेल रही है। केंद्र और राज्यों में जनविरोधी भाजपा की मौजूदा सरकारों के खिलाफ न्यायपालिका ही एकमात्र उम्मीद की किरण है जिससे जनता के साथ विपक्षी पार्टियों के लिए न्याय की आखिरी आस बंधी हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा के मंत्रीगण अगर न्यायपालिका का पूरा-पूरा आदर-सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम उसका अपमान भी ना करें। यह बात नरेन्द्र मोदी सरकार को सहर्ष स्वीकार करनी चाहिए और न्यायपालिका को बात-बात पर अपमानित करने के अपने अलोकतांत्रिक रवैये में सही सुधार अवश्य लाना चाहिए, यही देशहित में है।
मायावती ने कहा केंद्र के मंत्री बार-बार कहते हैं कि 2016 में 126 जजों की नियुक्ति करके केंद्र सरकार ने बड़ का काम किया है लेकिन पहले 300 से ज्यादा जजों के पदों को खाली लटकाए रखना और फिर उसके बाद 126 जजों की नियुक्ति करना यह कौन सा जनहित और देशहित का काम है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रालयों में उच्च पदों पर दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के अफसरों की तैनाती नहीं की जा रही है। ये मोदी सरकार का पूर्व की कांग्रेस सरकारों की तरह ही जातिवादी तथा द्वेषपूर्ण रवैया है।