मुलायम के करीबी अंबिका चौधरी बसपा में शामिल
उन्हें उनकी पारंपरिक विधानसभा सीट बलिया के फेफना से टिकट का वादा किया गया है। इस सीट पर हालांकि वह 2012 में हार गए थे और बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया था। मायावती ने कहा कि मैंने इन्हें पार्टी में लिया है और उन्हें यहां सपा से ज्यादा आदर सम्मान दिया जाएगा। साथ ही उन्हें बलिया जिले की उनकी पुरानी सीट से ही विधानसभा चुनाव लड़ाया जाएगा।
चौधरी ने कहा कि मैंने सपा की प्राथमिक सदस्यता और उससे संबंधित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मैं पूरी तरह समर्पित होकर बसपा के साथ आगे की राजनीति में, जो दिशा-निर्देश पार्टीऔर बहनजी का होगा, उसके लिए खुद को समर्पित करता हूं।
अंबिका चौधरी ने कहा कि 13 सितंबर (पिछले साल) से मीडिया सपा के सभी घटनाक्रम देख रहा है। सपा सत्ता में है और भाजपा को सत्ता में आने से रोकने की जिम्मेदारी उसकी है। जिस तरह घटनाक्रम हुए या यूं कहें चुनाव आयोग के समक्ष 16 जनवरी को हार और जीत हुई, उससे सिर्फ यही साबित होता है कि झगड़े का मकसद धर्मनिरपेक्ष आंदोलन और वंचित तबके के लोगों की रक्षा की बजाय और कुछ था।
चौधरी ने कहा कि यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि कोई भी राजनीतिक रूप से मुलायम का समर्थन या विरोध कर सकता है लेकिन जिस तरह अखिलेश यादव और उनके लोगों ने मुलायम के साथ बर्ताव किया, जिस तरह नेताजी और पिता को खारिज किया गया, उसकी पूरे प्रदेश में आलोचना हो रही है और मैं स्वयं दुखी हूं। उन्होंने कहा कि वह 40 साल से राजनीति में हैं और सपा में 25 साल रहे। सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में मौका देने के लिए उन्होंने मायावती का धन्यवाद किया। (एजेंसी)