महाराष्ट्र में नया राजनीतिक समीकरण
वैसे तो शरद पवार पहले भी मोदी का समर्थन कर चुके हैं। लेकिन इस बार का समीकरण कुछ और ही नजर आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि शिवसेना और भाजपा के बीच जो तनाव बना हुआ है उसके मद्देनजर यह नया समीकरण तैयार हो रहा है। क्योंकि शिवसेना शुरू से ही भाजपा को कमजोर करके आंकता रहा है लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद से कड़वाहट और बढ़ गई।
मोदी और पवार दोनों ने जोर देकर कहा कि उनके सार्वजनिक तौर पर एक साथ आने के कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए लेकिन भाजपा के अपने सहयोगी शिवसेना के साथ संबंधों में आये तनाव के बाद इसेे अधिक राजनीतिक महत्व दिया जा रहा है।
मोदी ने गत वर्ष अक्तूूबर में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के दौरान राकांपा को स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी करार दिया था और जनता का आह्वान किया था वह स्वयं को पवार परिवार से दूर करे। लेकिन नौ महीने बाद ही स्थितियां बदल गई। मोदी ने शरद पवार के गृह जनपद में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
मोदी ने पवार परिवार की ओर से संचालित विद्या प्रतिष्ठान का दौरा किया और अप्पासाहेब पवार प्रेक्षागृह का उदघाटन किया जिसका नाम शरद पवार के भाई के नाम पर रखा गया है। अप्पासाहेब चीनी सहकारी आंदोलन के एक प्रभावशाली नेता रहे हैं और राकांपा नेता को उनकी अधिकतर राजनीतिक ताकत उन्हीं से मिलती है।
प्रधानमंत्री द्वारा पवार परिवार के प्रति इस प्रेम से अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज्य की सियासत में कुछ नया होने वाला है।