उत्तर प्रदेश में गठबंधन को झटका दे सकती है निषाद पार्टी
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की महत्वपूर्ण गोरखपुर और महराजगंज सीट पर गठबंधन को लेकर पेंच फंस गया है। निषाद पार्टी को समाजपार्टी पार्टी के हिस्से से मिली महराजगंज सीट की आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं होने के कारण निषाद पार्टी के कार्यकर्ता गठबंधन के प्रति नाराज हैं। गठबंधन में सीटों को लेकर स्थिति साफ नहीं होती है तो निषाद पार्टी गठबंधन में पेंच फंसा सकती है।
सपा के कोटे से निषाद पार्टी
प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद ने गठबंधन किया है। इसी गठबंधन में निषाद पार्टी को भी सपा ने अपने कोटे से शामिल किया है। निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद सपा के टिकट से ही गोरखपुर से उपचुनाव में सांसद बने हैं। सूत्रों के मुताबिक, निषाद पार्टी को सपा के कोटे से एक सीट महराजगंज देने की सहमति बनी थी, लेकिन इसकी घोषणा अभी तक नहीं हुई है। इसके अलावा बसपा से एक सीट पर उन्हीं के सिम्बल से निषाद पार्टी के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाने की बात तय हुई थी, लेकिन बसपा नेताओं ने यह बात जब बसपा मुखिया मायावती तक पहुंचाई तो उन्होंने ऐसा संभव नहीं है, कहकर बात को टाल दिया, लेकिन एक-दो जगहों पर बसपा में कार्यरत मछुआ समाज के बसपा कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाने के लिए आश्वासन दिया था लेकिन बसपा ने अभी तक मछुआ समाज के किसी भी बसपा कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया है। इस बात को लेकर गठबंधन की सहभागी निषाद पार्टी के कार्यकर्ता बसपा और सपा के मुखिया से नाराज़ हैं। बसपा द्वारा गठबंधन की सीट शेयरिंग में किसी मछुआ समाज के प्रत्याशी को टिकट न देने के कारण निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गठबंधन के सूत्रधार सपा मुखिया पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद ने बताया कि हम गठबंधन के साथ रहना चाहते हैं, हम नहीं चाहते हैं कि हमारे ऊपर कोई आरोप लगे। हम इंतजार कर रहे हैं, लेकिन जो बातें तय हुई हैं, वही होना चाहिए। उसी के अनुसार निषाद पार्टी ने तैयार कर रखी है, लेकिन ऐसा नहीं होता है तो विचार किया जाएगा।
गठबंधन से अलग हो पीस पार्टी ने प्रसपा से मिलाया हाथ
गोरखपुर उपचुनाव में पीस पार्टी ने सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया था। इसके बाद से यह माना जा रहा था कि पीस पार्टी गठबंधन में है, लेकिन पीस पार्टी को गठबंधन में जगह नहीं मिल पाई। इसके बाद पीस पार्टी ने कांग्रेस में कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई। पीस पार्टी के मुखिया डॉ. अयूब ने कुछ छोटे दलों को साथ जोड़कर प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक एलायंस का गठन किया और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के नेता शिवपाल यादव के साथ गठबंधन किया। फिलहाल, प्रसपा ने 31 सीटों और पीस पार्टी ने 19 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है।