शिष्टाचार के बहाने बहुत कुछ साध आये हेमन्त सोरेन, दिल्ली प्रवास के दौरान सहयोगी और विपक्षियों से की मुलाकात
चार दिनों के प्रवास के बाद गुरुवार को झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन रांची लौट आये। एक साल बाद दिल्ली गए थे। सहयोगी और विपक्षी सब से मिले। कहा शिष्टाचार मुलाकात थी। जानकार बताते हैं कि शिष्टाचार मुलाकात के बहाने हेमन्त बहुत कुछ साध आये। झारखण्ड में ऑपरेशन कमल की हवा बहती रहती है। कभी कहा जाता है कि कांग्रेस निशाने पर है तो कभी बात उठती है कि भीतर ही भीतर भाजपा की झामुमो से नजदीकियां बढ़ रही हैं।
इधर कांग्रेस का हेमन्त सरकार पर दबाव बढ़ा हुआ है। बीस सूत्री समितियों के गठन, बोर्ड निगमों में तैनाती से लेकर सरकार में मंत्री के दो खाली पदों को भरने तक का। अधिकारियों के तबादले भी इनका हिस्सा हैं। हेमन्त सोरेन के दिल्ली जाने के ठीक पहले झारखण्ड के कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह भी यहां कैंप किये हुए थे। पार्टी और सरकार के बीच सेतु की तरह। खाली स्थानों को भरने के लिए दबाव के बीच दो कदम आगे दो कदम पीछे तो होता रहता है। इसी बीच बिना पूर्व घोषित कार्यक्रम के हेमन्त सोरेन दिल्ली चले गये। वहां कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से मुलाकात की। संदेश आया कि झारखंड की राजनीति और प्रकारांतर से कांग्रेसियों को सरकार में स्थान देने के मसले पर भी बात हुई। तुरंत बाद वे गृह मंत्री अमित शाह से मिले। कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और केंद्र सरकार में मजबूत दखल रखने वाले केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मिले। भाजपा के मंत्रियों से मुलाकात, कांग्रेस के लिए भी संदेश के रूप में देखा जा रहा है। वैसे मुलाकात के दौरान हेमन्त सोरेन ने राज्य हित की बातों को रखा। इधर संवादहीनता सी स्थिति थी। विवाद के मुद्दों पर पत्राचार हो रहा था। मुलाकात के दौरान तीनों मंत्रियों से सहयोग का आश्वासन मिला। इधर विभिन्न मोर्चों पर केंद्र के साथ टकराव की स्थिति बनी हुई थी। मसला डीवीसी के बिजली बिल मद में कटौती का हो, मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक का या कोल ब्लॉक की नीलामी का। मुलाकात से भविष्य में सहयोग की उम्मीद जगी है। हेमन्त सोरेन ने भी कहा कि केंद्र के लोक उपक्रमों की सर्वाधिक संख्या झारखण्ड में ही है। यह केंद्र के लिए भी सोचने की बात है। खनिज संपदा से जुड़े मामलों में भी केंद्र के पास काफी पैसे बकाया हैं। केंद्र से रिश्ते मधुर हुए तो आर्थिक के साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी हेमन्त सरकार के राह आसान होंगे। वहीं कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद कांग्रेस के दबाव से भी राहत महसूस हो रही होगी।