महाराष्ट्र में पवार बनाम पवार: बैठक के बाद शुरू हुई रिसोर्ट-होटल पॉलिटिक्स, देखें तस्वीरें
महाराष्ट्र में राजनीति का पारा तब से बढ़ा हुआ है जब से अजित पवार ने एक गुट बनाकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से विद्रोह करते हुए एकनाथ शिंदे से हाथ मिलाने का निर्णय किया। आठ एनसीपी नेताओं के मंत्री और खुद अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब बात यहां आ गई है कि आखिर एनसीपी किसकी है। चाचा भतीजे की लड़ाई के बीच बुधवार को हुए शक्ति प्रदर्शन के बाद एनसीपी (अजित पवार) गुट के नेता एक बस में सवार होकर होटल जाते दिखे।
दरअसल, बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट और अजित पवार गुट की बैठकें क्रमानुसार यशवंतराव चव्हाण केंद्र (दक्षिण मुंबई) और उपनगरीय बांद्रा में भुजबल नॉलेज सिटी में बुलाई गई। दोनों गुटों के नेताओं ने अपने पास अधिक विधायकों का समर्थन होने का दावा किया। मामला चुनाव आयोग तक तब पहुंचा जब दोनों गुटों ने असली एनसीपी होने का दावा किया। अजित पवार के गुट ने पार्टी चिन्ह मांगा तो शरद पवार गुट ने नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग कर डाली।
इसी बीच, अजित पवार गुट के नेताओं की बैठक समाप्त हुई तो उनकी कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिसमें वह बस में बैठे हुए दिखाई दिए। एएनआई द्वारा साझा की गई तस्वीरों में अजित पवार अपने गुट के विधायकों के साथ बस से होटल जाते दिखे। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी और बताया था कि अजीत पवार द्वारा बुलाई गई पार्टी की बैठक में एनसीपी के 53 में से 35 विधायक मौजूद थे।
एनसीपी (अजित पवार गुट) नेता छगन भुजबल ने बैठक में दावा किया कि 40 से अधिक विधायक और एमएलसी उनके गुट के साथ हैं। उन्होंने कहा, "हमने शपथ लेने से पहले पूरी मेहनत की है। हमने शपथ ऐसे ही नहीं ली।" "2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे। अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता तो आज तक महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता।"
अजित पवार ने चाचा शरद पवार पर कटाक्ष किया और कहा, "आपने मुझे सबके सामने विलेन बना दिया। मेरे मन में अभी भी उनके (शरद पवार) प्रति गहरा सम्मान है। लेकिन आप मुझे बताएं, आईएएस अधिकारी 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। यहां तक कि राजनीति में भी-भाजपा नेता 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। आप लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का उदाहरण देख सकते हैं। इससे नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।"