एससी-एसटी एक्ट पर बोली मायावती, विरोध करने वालों से पार्टी सहमत नहीं
सवर्णों द्वारा अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपनी पार्टी का रूख साफ किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग एक्ट के खिलाफ यह सोचकर विरोध कर रहे हैं कि इसका दुरुपयोग किया जाएगा तथा अन्य समुदायों का दमन किया जाएगा। पार्टी इस विचार से सहमत नहीं है।
सवर्ण संगठनों द्वारा एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में छह सितम्बर को बुलाए गए भारत बंद पर मायावती ने कहा कि अपना जनाधार खिसकता देख भाजपा पर्दे के पीछे से यह खेल कर रही है और चुनाव से पहले जातियों को बांटना चाहती है। एक्ट में संशोधन का विरोध सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में कराया गया और इसका असर उन्हीं राज्यों में देखने को मिला। अब चुनाव नजदीक आता देख भाजपा जातिगत तनाव फैलाना चाहती है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ दलितों की पार्टी नहीं है। उनकी पार्टी दलित, पिछड़ा, सवर्ण और अल्पसंख्यकों की पार्टी है तथा सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की हितैषी है। मायावती ने कहा कि उनकी सरकार में ही पहली बार सवर्णों को आर्थिक रूप से आरक्षण देने की मांग उठाई गई। मेरी सरकार में किसी के साथ अन्याय नहीं हुआ और न ही एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग हुआ।
संशोधन के बाद यह होगा एससी-एसटी एक्ट
एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18ए जोड़ी जाएगी। इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे। मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी। आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी। मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे। जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा। मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी। सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी।