लोहिया जिंदा होते तो मुलायम को समाजवादियों की सूची से निकाल देते: मायावती
मायावती ने अपने 60वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हर साल उनका जन्मदिन जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बसपा के कार्यकर्ता गरीबों, पिछड़ों और शोषित लोगों की मदद करते हैं लेकिन लोहिया के सिद्धान्तों के ठीक विपरीत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन शाही तरीके से मनाया जाता है। इसकी आलोचना होने के बावजूद सपा मुखिया का कहना है कि अगर आज लोहिया होते तो इसे देखकर खुश होते, लेकिन इस बात में रत्ती भर भी दम नहीं है।
लोहिया और सपा के समाजवाद में जमीन-आसमान का फर्क बताते हुए मायावती ने कहा कि प्रदेश के अनेक जिलों के किसान सूखे से परेशान हैं और उनकी मदद के लिये राज्य सरकार धन नहीं होने की बात कह रही है, वहीं सैफई महोत्सव में जनता का पैसा लुटाया जा रहा है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि दलितों के साथ सपा का बर्ताव लोहिया के सिद्धान्तों के खिलाफ है। लोहिया ने यह कभी नहीं कहा था कि दलित संतों, धर्मगुरूओं एवं महापुरुषों की निशानियों के साथ छेड़छाड़ की जाए। जनता जल्द ही इस पार्टी को सबक सिखाएगी।उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून की जगह गुंडों और माफियाओं का राज है। यह चीज भी लोहिया के समाजवाद का हिस्सा नहीं है।
मायावती ने इस मौके पर मेरा संघर्षमय जीवन एवं बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा- भाग 11 के हिन्दी तथा अंग्रेजी संस्करणों का विमोचन भी किया।
राम मंदिर से नहीं होगा भाजपा का भला
मायावती ने भाजपा पर वोट के लिये राम मंदिर के नाम पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन हथकंडों से उसका भला नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा साम्प्रदायिक तत्वों को खुली छूट देने से देश में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया है और बुद्धिजीवी वर्ग भी सांसत में है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख भाजपा, राष्टीय स्वयंसेवक संघ और उनके साथी संगठनों ने मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद राम मंदिर के नाम पर धार्मिक भावनाओं से खेलना शुरू कर दिया है।
अगड़ी जातियों के लिए मांग आरक्षण
मायावती ने कहा कि भाजपा और मोदी ने दिल्ली और बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी चुनाव के मद्देनजर नाटक शुरू कर दिया गया है, लेकिन जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का बुरा हाल होगा। मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार को अम्बेडकर की 125वीं जयन्ती पर पदोन्नति में आरक्षण विधेयक को संसद में पारित कराना चाहिये था। साथ ही हिन्दू धर्म की कुरीतियों से परेशान होकर दूसरे धर्मों गए गरीबों और पिछड़ों तथा अगड़ी जातियों के गरीब तबके को भी आरक्षण देने के लिये संविधान में संशोधन करना चाहिये था लेकिन उसने एेसा नहीं किया।
आर्थिक रूप से मजबूत देखना चाहते हैं समर्थक
मायावती ने कहा कि मनुवादी मानसिकता रखने वाले लोग किसी दलित की बेटी को बड़े पद पर नहीं देखना चाहते, इसीलिये वे उन्हें दलित नहीं बल्कि दौलत की बेटी कह कर उनका दुष्प्रचार करते हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उनके समर्थक उन्हें हमेशा आर्थिक रूप से मजबूत देखना चाहते हैं, इसीलिये वे समय-समय पर अपनी इच्छा से उन्हें नकद, ड्राफ्ट वगैरह देकर मदद करते हैं। जब ताज कारीडोर प्रकरण में सीबीआई ने उनके घर पर छापे मारे थे और उनके बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी थी, तब भी समर्थकों ने उन्हें मदद की थी।