विपक्षी एकता के प्रयास जारी, अखिलेश यादव से मिले शंकर सिंह वाघेला, तेज होगी 2024 की लड़ाई!
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी दलों के "गठबंधन" के प्रयासों के बीच गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से बुधवार को मिले। समाजवादी पार्टी और गुजरात कांग्रेस के पूर्व सिपाही वाघेला ने इसे एक "शिष्टाचार भेंट" नाम दिया है।
वाघेला ने एएनआई से कहा, "मैं यहां शिष्टाचार भेंट के लिए आया था, यदि राजनीतिक बात होगी तो जानकारी साझा की जाएगी।" समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर वाघेला ने कहा, "यह उनकी मार्केटिंग का तरीका है और कुछ नहीं...।"
गौरतलब है कि पिछले दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाग लिया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का मुख्य उद्देश्य 2024 लोकसभा चुनावों से पहले पूरे विपक्ष को एकजुट करना था।
बैठक के उपरांत बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे सभी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और बाकी की चर्चाएं आगामी जुलाई में प्रस्तावित एक और बैठक में की जाएंगी। विपक्षी खेमे में सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य में वहां की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी को लड़ाई का नेतृत्व करना चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं कि जब बात उत्तर प्रदेश की होती है तो यहां समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के एक समान उद्देश्य हैं। हालांकि, समाजवादी पार्टी चाहेगी कि राज्य में अधिक से अधिक लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की उनकी मंशा का समर्थन सभी अन्य राष्ट्रीय दल करें।
हालांकि, यह भी देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस किस तरह समाजवादी पार्टी के साथ सामंजस्य बनाती है और आखिर लोकसभा चुनावों के लिए कितनी सीटों पर संतुष्ट होती है। लाजमी है कि, कांग्रेस की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए राज्य का काफ़ी महत्व है, जबकि सपा भी एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने को उत्सुक है।
बता दें कि, बसपा सुप्रीमो मायावती ने पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक पर तंज कसा था और उत्तर प्रदेश का जिक्र किया था, जो लोकसभा में 80 सांसद भेजता है उन्होंने कहा था, " विपक्षी दलों के रवैये से नहीं लगता कि वे उत्तर प्रदेश में अपने उद्देश्य को लेकर गंभीर हैं।" ऐसे में वाघेला और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुलाकात के भी राजनीतिक मायने माने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि वाघेला ने गुजरात में तीसरी ताकत के साथ प्रयोग किया था और राष्ट्रीय जनता पार्टी और जन विकल्प मोर्चा और प्रजा शक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया था। हालांकि, 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले वाघेला राज्य में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। वह मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। उनका बेटा गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गया था। विदित हो कि वाघेला 1996 में भाजपा से अलग होकर करीब एक साल के लिए मुख्यमंत्री बने थे।