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25 April 2017

शिवसेना ने कहा, संघ मुख्यालय सत्ता का दूसरा केंद्र

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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना के सहयोगी भाजपा के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं। शिवसेना भागवत को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाने का सुझाव पहले भी दे चुकी है। हालांकि भागवत ने इसे खारिज करते हुए जोर कहा है कि यदि उनके नाम का प्रस्ताव आता भी है तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।

शिवसेना ने कहा कि बाबरी मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राष्ट्रपति पद के कुछ मजबूत दावेदारों की महत्वकांक्षाओं की गाड़ी पटरी से उतर गई होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के आला नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, जोशी और उमा भारती के खिलाफ आरोपों को बहाल करने की सीबीआई की याचिका स्वीकार कर ली थी जिसके बाद उनपर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाएगा।

पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने आज लिखा, आडवाणी और जोशी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी के गठन और उत्थान में उनका बहुत बड़ा योगदान है। इसमें कहा गया है कि नई पीढ़ी के नेताओं द्वारा भाजपा की कमान संभाल लेने के बाद से हालांकि पार्टी में उनके करने के लिए ज्यादा काम बचा नहीं है लेकिन आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर यह पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि अभी उनका कितना महत्व है।

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जोशी और भागवत के बीच हाल में हुई बैठक के संदर्भ में संपादकीय में कहा गया कि संघ प्रमुख चाहें तो कुछ भी हो सकता है। शिवसेना ने कहा कि तो क्या इन दोनों के बीच मुलाकात का यह मतलब है कि जोशी भागवत के साथ कोई नए समीकरण बना रहे हैं? (एजेंसी)

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TAGS: शिवसेना, सामना, उद्धव, ठाकरे, संघ, स्वयंसेवक, भागवत
OUTLOOK 25 April, 2017
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