शिवसेना की मांग, गोवा में लगे राष्ट्रपति शासन
शिवसेना ने आज मांग की है कि गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के राज्य से बाहर रहने की वजह से यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। शिवसेना की गोवा शाखा की प्रवक्ता राखी प्रभुदेसाई नाईक ने पणजी में कहा कि पर्रिकर के नहीं रहने से राज्य नेतृत्वविहीन हो गया है और किसी के पास खनन उद्योग की समस्याओं समेत प्रमुख मुद्दों पर फैसला लेने का अधिकार नहीं है।
राखी ने कहा कि भाजपा की सहयोगी गोवा फारवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई का वह बयान राज्य की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है जिसमें उन्होंने कहा था कि गोवा इमरजेंसी जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। गौरतलब है कि पर्रिकर अपने इलाज के लिए इन दिनों अमेरिका गए हुए हैं।
शिवसेना प्रवक्ता ने कहा कि राज्य नेतृत्वविहीन हो गया है। राज्य के सामने खनन उद्योग के बंद होने का खतरा है और ऐसे समय में कोई इस उद्योग से जुड़े लोगों के हित में बोलने के लिए कोई नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने गोवा में लौह अयस्क का खनन करने वाली 88 कंपनियों के खनन पट्टों के दूसरी बार के नवीनीकरण को निरस्त कर दिया था। यह नवीनीकरण 2015 में हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें 15 मार्च तक खनन जारी रखने की अनुमति दी है। इसके बाद उन्हें 16 मार्च से उस समय तक खनन कार्य बंद करने का निर्देश दिया गया जब तक उन्हें खनन के लिए नया पट्टा (नई नवीनीकरण नहीं) और पर्याव्रण मंजूरी नहीं मिल जाती।
शिवसेना प्रवक्ता राखी ने कहा कि खनन उद्योग में लगे लोगों को झूठी दिलासा दी जा रही है और प्रतिनिधिमंडल के दिल्ली जाने का नाटक किया जा रहा है। इनकी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं निकाला जा रहा है। हमें कैबिनेट सलाहकार समिति से भी कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि यह लोगों के बारे में चिंतित नहीं है।
गोवा से जाने के पहले पर्रिकर ने तीन सदस्यीय कैबिनेट सलाहकार समिति बनाई है जिसमें विजय सरदेसाई, सुदिन धावालिकर और फ्रांसिस डीसूजा शामिल हैं। राखी ने आरोप लगाया कि समिति ने खानों के बंद होने पर होने वाली स्थिति पर चर्चा के लिए कोई बैठक तक नहीं बुलाई है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए ताकि खनन उद्योग पर आश्रित लोगों की राहत के लिए केंद्र सरकार कोई कदम उठा सके।
गौरतलब है कि शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी है जबकि गोवा विधानसभा में उसका प्रतिनिधित्व नहीं है।