भाजपा की मंजूरी पर होगा सपा-कांग्रेस गठजोड़ : मायावती
उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार पर आय से अधिक संपत्ति के मामलों और अन्य कमजोरियों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और सीबीआई के जरिए दबाव बना रही है कि वह विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ें, ताकि मुसलमान वोट विभाजित किया जा सके और बसपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।
बसपा सुप्रीमो ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कांग्रेस से गठजोड़ करने को लेकर बार-बार दिए जा रहे बयानों का उल्लेख करते हुए सवाल किया कि पिछले विधानसभा चुनाव में अपने दम पर सरकार बनाने वाला व्यक्ति अगले चुनाव में गठजोड़ क्यों करना चाहता है। मायावती ने कहा कि जब भी सपा की सरकार बनती है, कानून का नहीं सपा के गुंडों, माफियाओं, अराजक एवं सांप्रदायिक तत्वों का जंगलराज चलता है। विकास भी निष्पक्ष एवं पूरी ईमानदारी से नहीं किया जाता। एक विशेष क्षेत्र या जाति का खास ध्यान रखा जाता है।
उन्होंने कहा कि इन सब कार्यों से प्रदेश की जनता सपा से काफी दूरी बना चुकी है। अब अखिलेश खुद आगे आकर हर रोज कांग्रेस से गठबंधन की बात करते रहते हैं। लेकिन इसके साथ साथ यह महत्वपूर्ण बात है कि वर्तमान में यह (कांग्रेस) खुद ऑक्सीजन पर चल रही है। कांग्रेस से सपा समझौता करने के लिए इतनी उतावली क्यों नजर आ रही है।
मायावती ने दावा किया कि चुनाव में सपा कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद प्रदेश की सत्ता में वापस आने वाली नहीं है। इसका अहसास खुद सपा और मुख्यमंत्री को है। लेकिन यह सब जानते हुए भी सपा अपने परिवार के आपसी वर्चस्व की लड़ाई, अपनी सरकार की कमियों पर परदा डालने के लिए और इन सबसे प्रदेश की जनता का ध्यान बांटने के लिए ये सब किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सपा में दो खेमे हैं। एक अखिलेश का और दूसरा चाचा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का। दोनों एक दूसरे को हराने की कोशिश करेंगे। यादव वोट दो खंडों में बंटेगा। ऐसे में मुस्लिम समाज का जो वोट सपा या सपा-कांग्रेस गठजोड़ को पड़ा, सीधा फायदा भाजपा को होगा। भरोसा है कि वर्तमान हालात में मुस्लिम समाज के लोग सपा या सपा-कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समाज के लोग भाजपा की विरोधी पार्टियों में से केवल उसी पार्टी को या उसी गठबंधन के उम्मीदवारों को अपना वोट देंगे जो भाजपा प्रत्याशी को हराने में सक्षम नजर आएगा। मायावती ने कहा कि प्रदेश में 24 प्रतिशत वोट दलितों के हैं। इस प्रकार प्रदेश की हर विधानसभा सीट पर कम से कम लगभग 50 से 60 हजार दलित वोट अवश्य हैं। उन्होंने कहा कि ये दलित वोट मुस्लिम समाज के साथ मिलकर अपने आप में बहुत बड़ी ताकत बन जाता है। दूसरी ओर सपा का यादव वोट पांच या छह प्रतिशत ही है। मुश्किल से ये (यादव) निर्णायक वोट 50 से 60 विधानसभा सीटों पर ही मिलता है।
मायावती ने आगाह किया कि सावधानी के तौर पर प्रदेश की जनता को कहना चाहती हूं कि हो सकता है कि इस चुनाव में भाजपा के लोग अपनी लोकसभा चुनाव संबंधी वायदाखिलाफी से तथा बिना पूरी तैयारी के नोटबंदी के फैसले से प्रदेश की जनता का ध्यान बांटने के लिए अयोध्या के विवादित स्थल को राजनीतिक स्वार्थ के लिए भुनाने की कोशिश कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदू और मुसलमान के बीच दंगे करा सकती है, इसलिए सावधान रहना है। भाजपा को किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में नहीं आने देना है। उत्तर प्रदेश की जनता पर मुझे पूरा भरोसा है कि जिस प्रकार आंख बंद कर सभी धर्मनिरपेक्ष लोगों ने बिहार में एकजुट होकर भाजपा को हराने का फैसला लिया था, अब ठीक उसी प्रकार से उत्तर प्रदेश में भी उसी एकजुटता का परिचय देकर भाजपा की खतरनाक नीतियों के खिलाफ बसपा के साथ मिलकर खड़े होने का समय आ गया है।
मायावती ने कहा कि ऐसा करके भाजपा और राष्टीय स्वयंसेवक संघ की रीढ़ पर सीधे चोट पहुंचाई जा सकती है। इसलिए सर्वसमाज के साथ साथ मुस्लिम समाज के लोगों को भी बसपा के साथ मिलकर भाजपा को परास्त करने में सहयोग की आवश्यकता है। (एजेंसी)