समाजवादी पार्टी का बड़ा ऐलान, विधान परिषद चुनाव में करेगी बीएसपी का समर्थन
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी साथ नजर आएंगी। हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनावों में दोनों की सियासी दोस्ती दिखेगी। दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह बड़ी घोषणा की है।
समाचर एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अखिलेश यादव ने घोषणा की है कि इस बार होने वाले विधान परिषद के चुनावों में उनकी पार्टी बसपा उम्मीदवारों का समर्थन करेगी। राज्यसभा चुनाव के दौरान भी सपा और बसपा एक साथ नजर आईं थीं। माना जा रहा है कि अखिलेश ने ताजा कदम बीएसपी के साथ समाजवादी पार्टी के संबंध को मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है।
दरअसल, राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार की हार होने से दोनों दलों के रिश्तों को लेकर कई तरह के सवाल उठे थे। मायावती ने तब कहा था कि अखिलेश को जया बच्चन के बजाय बसपा उम्मीदवार को जिताने में मदद करनी चाहिए थी क्योंकि बसपा ने इससे पहले गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की सहायता की थी।
राष्ट्रहित में भाजपा को रोकना जरूरी: अखिलेश
इस ऐलान से पहले बुधवार को अखिलेश यादव ने भाजपा को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि राष्ट्रहित में इस दल को रोकना जरूरी है।
अखिलेश ने पार्टी राज्य मुख्यालय में सपा नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक में आरोप लगाया कि भाजपा समाज में कांटे बोती जा रही है और वह लोकतंत्र के लिये खतरा है। यह पार्टी समाज के भाईचारे को तोड़ने और विकास के मुद्दे से ध्यान भटकाने के साथ-साथ साम्प्रदायिकता की आड़ में वोटों का ध्रुवीकरण करने की साजिश करती है।
उन्होंने कहा कि किसानों, नौजवानों और अल्पसंख्यकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही भाजपा को राष्ट्रहित में रोकना जरूरी है। इस काम में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी क्योंकि यहीं से भारत की राजनीतिक दिशा तय होगी। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा से होशियार रहने और अपनी भाषा तथा व्यवहार में संयम बरतने की हिदायत दी और कहा कि अगर हम सब एकजुट रहेंगे तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरा सकते है।
सपा-बसपा के करीब आने को लेकर भाजपा नेताओं के तल्ख बयानों का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि इसे लेकर भाजपा में बौखलाहट है और वह हमारी तुलना जानवरों से करने लगी है। यह राजनीति में नैतिक मूल्यों की गिरावट का उदाहरण है।
26 अप्रैल को होगा चुनाव
बता दें कि विधान परिषद के लिए 13 सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव होंगे। उनके नतीजे भी उसी दिन घोषित कर दिए जाएंगे। एक उम्मीदवार को जिताने के लिये प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी।