जयललिता की किस्मत पर 2 फरवरी से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस मामले में जयललिता को कर्नाटक हाइकोर्ट ने बरी कर दिया था। इस फैसले को द्रमुक एवं कर्नाटक सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। गौरतलब है कि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अखिल भारतीय अण्णा द्रमुक की सुप्रीमो जयललिता को इस मामले में निचली अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद पिछले वर्ष सितंबर में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था मगर कर्नाटक हाइकोर्ट में उनकी अपील मंजूर होने और सजा खारिज होने के बाद मई, 2015 में वह फिर से मुख्यमंत्री बनीं। अभी का समय उनके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तमिलनाडु में अगले कुछ महीने में चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में अगर उच्चतम न्यायालय उनके खिलाफ फैसला देता है तो उन्हें और उनकी पार्टी दोनों को झटका लग सकता है।
वैसे जयललिता के लिए अदालतों के चक्कर लगाना कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2001 के चुनाव के समय एक आपराधिक मामले में चार वर्ष की सजा सुनाए जाने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ पाई थीं मगर उनकी पार्टी को बहुमत मिल गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं। इस वर्ष भी अगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई का हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।