तेजस्वी याजव ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर नीतीश की 'बी-टीम' के रूप में काम करने का आरोप लगाया
राजद नेता तेजस्वी यादव ने पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा गठित जन सुराज पार्टी पर कटाक्ष करते हुए उस पर बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन राजग की 'बी टीम' के रूप में काम करने का आरोप लगाया।
हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा पानी की धार छोड़े जाने के बाद रविवार देर रात एक वीडियो संदेश में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी के बारे में कहा कि प्रदर्शनकारियों को गांधी मैदान की ओर मार्च करने के लिए "गुमराह" किया गया था।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यादव ने आरोप लगाया, "यह आंदोलन छात्रों द्वारा शुरू किया गया था। गर्दनीबाग में लगभग दो सप्ताह तक चले धरने, जहां मैं हाल ही में गया था, ने सरकार को हिलाकर रख दिया था। इस समय, सरकार की बी टीम के रूप में काम करने वाले कुछ तत्व आ गए।"
उन्होंने कहा कि प्रशासन की चेतावनी के बावजूद प्रदर्शनकारियों को गांधी मैदान की ओर मार्च करने के लिए गुमराह किया गया। उन्होंने कहा कि जब लाठीचार्ज एवं पानी की बौछारों का सामना करने का समय आया, तो विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने की पेशकश करने फरार हो गए।
उल्लेखनीय है कि किशोर उस समय नहीं थे, जब पुलिस ने बल प्रयोग किया था। लेकिन उन्होंने रविवार को अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया जिसके कारण किशोर और जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष मनोज भारती तथा कई अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने, जिनमें रविवार को प्रशांत किशोर भी शामिल थे, शाम को मुख्यमंत्री के आवास की ओर मार्च करने का जबरन प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
यादव ने कहा कि उनकी पार्टी 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं को रद्द करने की प्रदर्शनकारियों की मांग का "राजनीतिक" समर्थन करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगी।
उन्होंने कहा, "लेकिन आपको खोखले वादों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। अपनी बात पर कायम रहना चाहिए। यह कहना बेतुका है कि बीपीएससी सरकार के अधीन नहीं आता। इसके अध्यक्ष, मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त व्यक्ति होते हैं। यहां मुख्यमंत्री संयोग से गृह विभाग भी संभाल रहे हैं और पुलिस गृह विभाग के अधीन है।’’
उल्लेखनीय है कि बीपीएससी ने 10,000 से अधिक उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है, जिन्हें शहर में बापू परीक्षा केंद्र दिया गया था, जहां सैकड़ों लोगों ने प्रश्नपत्र "लीक" होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया था।
बीपीएससी ने इस आरोप को खारिज करते हुए दावा किया कि परीक्षा को रद्द करवाने की "साजिश" के तहत इसे बाधित किया गया।