एलजी-आप सरकार में खींचतान: डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा- चुनी सरकार के कामकाज में दखल दे रहे हैं उपराज्यपाल
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार के कामकाज में दखल दे रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से आप दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों को अपने दफ्तर में बुलाकर मीटिंग कर रहे हैं और उनके विभागों से संबंधित कार्यों के संबंध में दिशा निर्देश भी दे रहे हैं। ये सीधे तौर पर असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इस बारे में उऩ्होंने एलजी को पत्र भी लिखा है।
दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली और पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान हिंसा से संबंधित मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल की सिफारिश को खारिज करने के एक दिन बाद उऩकी यह टिप्पणी आई है।
सिसोदिया ने एक पत्र में दावा किया, "यह भी मेरे संज्ञान में आया है कि आप बैठकों में अधिकारियों को उन कार्यों के बारे में निर्देश जारी कर रहे हैं जो निर्वाचित सरकार के दायरे में आते हैं और बाद में एलजी कार्यालय के अधिकारी उन फैसलों को लागू करने के लिए दबाव डालते हैं।"
डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा कि अगर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपाल या उपराज्यपाल ही जनता की चुनी हुई सरकारों को किनारे कर सभी विषयों पर निर्णय लेने लग लगेंगे तो जनतंत्र खत्म हो जाएगा। संविधान में कहीं भी दिल्ली के उपराज्यपाल को यह अधिकार नहीं दिया गया है कि वह दिल्ली की चुनी हुई सरकार के तहत आने वाले विषयों पर संबंधित विभागों के अधिकारियों की सीधे बैठक बुलाएं, निर्णय लें और उन्हें दिशा निर्देश जारी करे। उन्होंने उपराज्याल से इस तरह की कार्रवाइयों से दूर रहने का आग्रह किया।
4 जुलाई, 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि एलजी की शक्तियां पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था तक सीमित थीं। संविधान ने एलजी को राष्ट्रपति के विचार के लिए किसी भी मामले को आरक्षित करने के लिए "वीटो" शक्ति दी है, जिस पर वह निर्वाचित सरकार के फैसले से असहमत हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि एलजी कभी-कभार और असाधारण परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करेंगे।
हालांकि इस साल अप्रैल में केंद्र के नए कानून से स्प्ष्ट किया गया है कि निर्वाचित सरकार को अब किसी भी कार्यकारी निर्णय से पहले उपराज्यपाल की राय लेनी होगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021 को प्रभावी करने वाली केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना 27 अप्रैल को लागू हुई।