मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर बोले केंद्रीय मंत्री गोयल: हर चुनाव में ‘कमल’ हमारा चेहरा
मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश किए जाने को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि हर चुनाव में भाजपा का चुनाव चिन्ह ‘कमल’ ही पार्टी का चेहरा है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्रियों सहित कई दिग्गजों को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने के बाद मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की योजनाओं को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
भाजपा नेताओं के विभिन्न बयानों ने भी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर बहस को हवा दी है। मध्य प्रदेश में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा? यह सवाल पूछे जाने पर गोयल ने रविवार को नीमच में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हर चुनाव में पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘कमल’ हमारा चेहरा होता है। उन्होंने कहा कि कमल हम सभी के लिए पूजनीय है और हम कमल लेकर जनता के बीच जाते हैं। उन्होंने कहा, ”हम सभी कार्यकर्ता हैं और भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम हर भारतीय के जीवन में खुशी और उत्साह लाने, उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने, उज्ज्वल भविष्य, गरीबों के कल्याण और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी आगामी चुनावों में विजयी होगी।
भाजपा ने अब तक राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 79 पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इन उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ-साथ इंदौर के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हैं। इन सभी राजनीतिक दिग्गजों को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले हफ्ते विजयवर्गीय ने कहा था कि वह सिर्फ विधायक बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पार्टी उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी देगी।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और स्वतंत्र उम्मीदवारों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई थी क्योंकि इन चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 230 सदस्यीय सदन में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 109 सीटें मिली थीं।
हालांकि, कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार 15 महीने बाद गिर गई जब कांग्रेस विधायकों का एक वर्ग भाजपा में शामिल हो गया। इनमें से अधिकतर विधायक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे। मार्च 2020 में भगवा पार्टी सत्ता में लौट आई और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने।