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09 March 2021

पश्चिम बंगाल चुनावः ममता को चाहिए मदद, झामुमो से बढ़ी नजदीकियां

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पश्चिम बंगाल में चुनावी विसात बिछने लगी है। प्‍यादे, घोड़े, हाथी सब मोर्चे पर तैनात हो रहे हैं। भाजपा के बढ़ते प्रभाव और तेज होते आक्रमण के बीच अब ममता बनर्जी को छोटी-छोटी पार्टियों की दरकार गहराई से महसूस होने लगी है। ऐसा पार्टियां जो साथ आने पर फायदा पहुंचा सकती हैं और अलग लड़ने पर नुकसान। इसी कड़ी में ममता ने अपने पड़ोसी झारखण्‍ड के सत्‍ताधारी झामुमो से मदद मांगी है। अभी दिल्‍ली से लौटे मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने भी कहा कि ममता बनर्जी चुनाव प्रचार में सहयोग और साथ चाहती हैं। दो दिन पहले हेमन्‍त सोरेन दिल्‍ली में थे और रांची में एनसीपी का सम्‍मेलन हो रहा था। इसमें भाग लेने आये एनसीपी अध्‍यक्ष शरद पवार ने कहा था कि ममता पर भाजपा के बढ़ते आक्रमण को देखते हुए उनको मदद की जरूरत है। हमारी पार्टी उनकी पार्टी को समर्थन दे सकती है, संभव है हम कोई उम्‍मीदवार ही न दें। जल्‍द पार्टी के स्‍तर पर इसका निर्णय किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार शरद पवार इस मसले पर खुद हेमन्‍त सोरेन से बात करना चाहते थे मगर मुख्‍यमंत्री उनके जाने के बाद पहुंचे।

पश्चिम बंगाल के झारग्राम में झामुमो की चुनावी सभा और हेमन्‍त सोरेन के संबोधन के बाद ममता बनर्जी थोड़ा नाराज भी हुई थीं मगर झामुमो ने उसका संयमित तरीके से जवाब दिया। हालांकि उसके बाद पश्चिम बंगाल में झामुमो की आक्रामक सभाएं थम सी गईं। उससे महसूस किया जा रहा था कि झामुमो में कुछ पक रहा है। वैसे खुद हेमन्‍त सोरेन ने झारग्राम की सभा में कोई पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कोई चालीस सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया था। इधर ममता के आग्रह के बाद झामुमो में मंथन शुरू हो गया है। तीन-चार दिन पूर्व झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने आउटलुक से कहा था कि बंगाल के मसले पर जल्‍द तस्‍वीर साफ हो जायेगी। इधर झामुमो की ममता बनर्जी से नजदीकियां बढ़ रही हैं। मगर किन शर्तों पर यह तस्‍वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। टीएमसी को बिना शर्त समर्थन या तालमेल के आधार यह पार्टी कार्यकारिणी को निर्णय करना है। झारखंण्‍ड में कांग्रेस हेमन्‍त सरकार में शामिल है मगर बंगाल में ममता से अलग कांग्रेस और वाम का गठबंधन है। केंद्र के साथ हेमन्‍त सोरेन का लगातार टसल चल रहा है, ऐसे में लगता है कि भाजपा को दूर रखने के लिए ममता से निकटता झामुमो का समय के साथ समझौता है। झामुमो के एक वरिष्‍ठ नेता ने कहा कि भाजपा को सत्‍ता से दूर रखने के लिए हम हर संभव कदम उठायेंगे। वहीं पार्टी के केंद्रीय महासचिव व प्रवक्‍ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आउटलुक से कहा कि विधानसभा का सत्र चल रहा है। ममता बनर्जी के साथ पर निर्णय जल्‍द हो जायेगा। हमारे सारे बड़े नेता रांची में ही हैं। बुद्धवार को कोई फैसला संभव है। राजद भी बंगाल में ममता बनर्जी से कोई आधा दर्जन सीटें चाहता है। राजद के नेता लगातार टीएमसी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। हालांकि सीटों पर निर्णय के बिना ही राजद ने साथ का संदेश दिया है।

ममता की चिंता

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भाजपा के बढ़ते आक्रमण के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी खुद को ज्‍यादा सुरक्षित कर लेना चाहती हैं। दरअसल दीदी, भाजपा के बढ़ते प्रभाव से परेशान हैं। 294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर सीमित रहने वाली भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी से वोट प्रतिशत के मामले में महज तीन प्रतिशत पीछे रही। विधानसभा चुनाव में 10.16 प्रतिशत वोट मिले थे मगर लोकसभा में भाजपा ने यह आंकड़ा बढ़ाकर 40.03 प्रतिशत कर लिया। यह दीदी के लिए चिंता का विषय रहा। टीएमसी के आंतरिक आकलन के अनुसार जंगलमहल और नार्थ ब्‍लॉक वाले इलाकों से गरीबों का वोट नहीं मिला। इन इलाकों में आदिवासियों की अच्‍छी संख्‍या है। वैसे बंगाल में विधानसभा के 16 सीट आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। अनेक असुरक्षित ऐसी सीटें भी हैं जहां आदिवासियों की उल्‍लेखनीय संख्‍या है। चाय बगान में भी झारखण्‍ड से बड़ी संख्‍या में श्रमिक काम करते हैं। यह बात अलग है कि पिछले तीन दशक में कोई सात चुनाव में तकदीर आजमाने के बावजूद झामुमो का खाता तक नहीं खुला। एक प्रतिशत भी वोट किसी चुनाव में हासिल नहीं हुआ। इसके बावजूद ममता बनर्जी चाहेंगी कि आदिवासियों के समर्थन के लिए हेमन्‍त सोरेन और अन्‍य बड़े नेताओं के साथ शिबू सोरेन की भी सभा हो। दरअसल सत्‍ता में होने के साथ जनगणना में सरना धर्म कोड के मामले ने हेमन्‍त का कद आदिवासियों में बढ़ा दिया है। ऐसे में झामुमो और राजद का ममता को समर्थन मिलता है तो गरीबों, आदिवासियों के वोट को लेकर वे थोड़ा राहत महसूस कर सकती हैं।

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OUTLOOK 09 March, 2021
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