क्या नीतीश बन पाएंगे सीएम, शिवसेना ने याद दिलाई अपनी कहानी
मंगलवार आधी रात को बिहार चुनाव 2020 के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इसके बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बिहार चुनाव को लेकर लेख प्रकाशित किया है, जिसमें शिवसेना की ओर से कांग्रेस के प्रदर्शन और नीतीश कुमार के सीएम बनने को लेकर सवाल उठाए गए हैं। सामना में शिवसेना ने लिखा है, 'बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार आई है, लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे क्या? यह मामला अधर में है। नीतीश कुमार की संयुक्त जनता दल 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई और भाजपा ने 70 का आंकड़ा पार किया।'
सामना में लिखा गया है, 'कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने का दिया गया वचन पूरा किया गया तो इसका श्रेय उन्हें शिवसेना को देना होगा। बिहार में क्या होगा, यह अगले 72 घंटों में साफ हो जाएगा।'
इससे पहले मंगलवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने उस घटनाक्रम का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने यह दिखा दिया था कि यदि गठबंधन सहयोगी 'अपने शब्दों पर कायम नहीं रहता ' तो क्या होता है? राउत ने कहा, ''मैंने सुना कि भाजपा नेता टीवी पर कह रहे हैं कि केवल नीतीश बाबू ही मुख्यमंत्री होंगे। इसके लिए नीतीश बाबू को शिवसेना का शुक्रिया अदा करना चाहिए। वादा खिलाफी बिहार में नहीं होगी क्योंकि शिवसेना ने महाराष्ट्र में दिखा दिया था कि अगर अपने कथन पर नहीं टिका जाता तो क्या हो सकता है।''
बता दें कि पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना और भाजपा के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई खींचतान के बीच शिवसेना ने विरोधी विचारधारा वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
शिवसेना ने कहा, 'बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी की फिसलन का बड़ा झटका तेजस्वी यादव को लगा। वाम दलों ने कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस वैसा नहीं कर पाई।' शिवसेना ने कहा, 'तेजस्वी यादव हार गए हैं, ऐसा हम मानने को तैयार नहीं। तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था। यह संघर्ष परिवार का था और उसी प्रकार सामने बलवान सत्ताधारियों से था। तेजस्वी को फंसाने और बदनाम करने का एक भी मौका दिल्ली और पटना के सत्ताधारियों ने नहीं छोड़ा।
शिवसेना ने तेजस्वी यादव की जमकर तारीफ भी की है। शिवसेना ने कहा, 'नीतीश कुमार को हार की इतनी चिंता हुई कि उन्हें भावनात्मक अपील करते हुए प्रचार के आखिरी चरण में कहना पड़ा कि यह उनका आखिरी चुनाव है। राजनीति में नए तेजस्वी पर्व की शुरुआत हो गई है। नया युवा तेजस्वी यादव का चेहरा उदित हुआ है। उसने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, जेपी नड्डा और सारे सत्ताधीशों से अकेले लड़ाई लड़ी। तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जोरदार चुनौती दी। बिहार चुनाव में मोदी का करिश्मा काम आया, ऐसा जिन्हें लग रहा होगा वे तेजस्वी यादव के साथ अन्याय कर रहे हैं।'