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10 July 2024

मुस्लिम महिलाओं के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राष्ट्रीय महिला आयोग ने किया स्वागत

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने मुस्लिम महिलाओं के लिये गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार की पुष्टि करने वाले उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता एवं न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

शीर्ष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया कि एक मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है, जो सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो।

रेखा शर्मा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का तहे दिल से स्वागत करती हूं, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण मांगने के अधिकार की पुष्टि की गई है।’’

 रेखा ने कहा, ‘‘यह फैसला सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि किसी भी महिला को कानून के तहत समर्थन और सुरक्षा के बिना नहीं छोड़ा जाना चाहिए। आयोग महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में हर महिला को न्याय मिले।’’

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पीठ ने कहा कि भरण-पोषण दान नहीं है, बल्कि यह विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

शीर्ष अदालत ने मोहम्मद अब्दुल समद की याचिका खारिज कर दी, जिसने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कुटुम्ब अदालत के भरण-पोषण आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

समद ने तर्क दिया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है, और उसे मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करना होगा।

 
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TAGS: Supreme court on women Rights, Muslim Women Rights, National women commision, muslim women criminal procedure code
OUTLOOK 10 July, 2024
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