कल का दिन बिहार राजनीति में बेहद अहम. तेजस्वी, चिराग, नीतीश की बदल सकते हैं दिशा
बिहार राजनीति में कल यानी पांच जुलाई का दिन बेहद खास रहने वाला है। जहां एक ओर लंबे वक्त के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजोडी) सुप्रीमो लालू प्रासद यादव पार्टी के 25 वर्ष पूरे पर आयोजित समारोह को संबोधित करेंगी, वहीं दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के टूटने के बाद चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की जयंती पर आर्शीर्वाद यात्रा कर जनाधार की पुष्टि करेंगे। चिराग को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए आरजेडी ने भी रामविलास पासवान की जयंती मनाने की घोषणा की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कल होने वाली चिराग की यात्रा को मिले समर्थन को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी अपनी आगे की रणनीति तय कर सकती है। माना यह भी जा रहा है कि यदि भाजपा चिराग को अपना समर्थन देती है तो इसे सीएम नीतीश कुमार कभी पसंद नहीं करेंगे। कुल मिलाकर लोजपा में मचे भीतरी घमासान के बीच सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से इसका फायदा उठाने में जुटी हुई हैं।
इस साल आरजेडी अपने 24 साल पूरे होने पर 25वां स्थापना दिवस मना रहा है। तबियत खराब होने की वजह से इसमें शिरकत करने के लिए लालू प्रसाद यादव दिल्ली से पटना नहीं आ पाएंगे इसलिए लालू वहीं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह को संबोधित करेंगे। जिसकर सभी की निगाटे टिकी है।
आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे चिराग पासवान
चाचा पशुपति कुमार पारस गुट और चिराग पासवान खेमे के बीच कुर्सी को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर खींचातानी जारी है। चिराग समर्थकों और नेताओं का कहना है कि पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं। वहीं, बीते दिनों पारस समर्थक सांसदों और समर्थकों ने चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाते हुए सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। उसके बाद पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कही गई। जिसके बाद चिराग ने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था। चिराग पासवान 5 जुलाई को हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं। हाजीपुर दिवंगत रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता रहा है। अब ये लोकसभा क्षेत्र बागी चाचा पशुपति पारस का है। आशीर्वाद यात्रा के दौरान चिराग बिहार के सभी जिलों का दौरा करेंगे और ये संदेश देने की कोशिश होगी कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वो खुद हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान चिराग अपने दलित वोट बैंक को भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
बता दें, गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को लगभग 6 फीसदी और संख्या में 26 लाख वोट मिले थे। वहीं, मात्र एक विधायक जीतने में सफल हुए थे। लेकिन, ये एकमात्र विधायक ने भी बीते महीने नीतीश का दामन थामते हुए पाला बदल जेडीयू में शामिल हो गए थे। अब तेजस्वी इस कोशिश में हैं कि चिराग के पास जो 6 फीसदी पासवान वोट बैंक है उसको अपनी ओर खींचा जाए, जिसका लाभ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके। राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि नीतीश को चिराग ने विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान पहुंचाया है। यदि तेजस्वी-चिराग साथ आते हैं तो ऐसे में महागठबंधन को काफी फायदा हो सकता है। लेकिन, चिराग अब तक इस बात से इंकार करते रहे हैं और उनका कहना है कि वो एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे। हालांकि, अभी तक के पूरे लोजपा घटनाक्रम और घमासान पर बीजेपी के किसी भी बड़े आलाकमानों की कोई टिप्पणी नहीं आई है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा ने चाल चलकर चिराग को राजनीति में अकेला छोड़ दिया है।