उन्नाव बलात्कार मामला: कुलदीप सेंगर ने अंतरिम जमानत बढ़ाने का किया अनुरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में चिकित्सा के आधार पर मिली अपनी अंतरिम जमानत पांच महीने बढ़ाने का बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नेता सेंगर को 20 दिसंबर तक अंतरिम जमानत दी थी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख निर्धारित की।
पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा बोर्ड से एक रिपोर्ट भी मांगी, जो उनके वकील को सौंपी जाएगी।
अदालत ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आते थे, जिससे एम्स में उनकी चिकित्सा देखभाल और उनकी दैनिक दिनचर्या प्रभावित होती थी। अदालत ने कहा, ‘‘एम्स ने पहले कभी कोई पत्र नहीं भेजा।’’
हालांकि सेंगर के वकील ने कहा कि चिकित्सकीय जांच के दौरान केवल उनके परिवार के सदस्य ही उनसे मिलने आए थे।
पांच दिसंबर को, अदालत ने सेंगर की सजा को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया और एम्स में उनकी चिकित्सकीय जांच का निर्देश दिया। सेंगर के मोतियाबिंद सहित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होने का दावा किया गया था।
भाजपा के पूर्व नेता उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं और उन्हें एक अन्य पीठ ने 20 दिसंबर तक मामले में अंतरिम जमानत दी थी।
बलात्कार मामले में दिसंबर 2019 के एक निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उनकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने इसे रद्द करने का अनुरोध किया है।
नाबालिग लड़की का कथित तौर पर 2017 में सेंगर ने अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया था।
तेरह मार्च, 2020 को हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। अदालत ने सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी।
बलात्कार पीड़िता के पिता को कथित तौर पर सेंगर के कहने पर हथियार कानून के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के पिता की नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में मृत्यु हो गई।
बलात्कार मामले और अन्य संबंधित मामले एक अगस्त, 2019 को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिए गए थे।