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30 July 2024

यूपी: अवैध धर्मांतरण पर कसेगा नकेल! उम्रकैद के प्रावधान वाला संशोधित विधेयक विधानसभा में पारित

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित हो गया। विधानसभा में मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदस्यों से विधेयक को पारित करने का अनुरोध किया। विधेयक के पक्ष में सदस्यों की संख्या अधिक होने पर अध्यक्ष ने इसके पारित कर दिये जाने की घोषणा की।

इसके पहले कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' और सपा के कई सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव दिया, लेकिन प्रवर समिति को सौंपने के विरोध में सदस्यों की संख्या अधिक होने की वजह से यह प्रस्ताव गिर गया। इस संशोधित अधिनियम में छल-कपट या जबर्दस्‍ती कराये गये धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।

संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर उसका धर्मांतरण करने, उससे अवैध तरीके से विवाह करने और उसका उत्पीड़न करने के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें अधिकतम 10 साल की कैद का प्रावधान था।

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खन्ना ने सदन में पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को पुरःस्थापित किया था।

इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, उस पर हमला करता है, उससे विवाह करता है या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा।

संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था।

अब इसमें जुर्माने के लिए यह प्रावधान किया गया है जो पीड़ित के चिकित्सकीय खर्च को पूरा करने और उसके पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा।

खन्ना ने संशोधित विधेयक के प्रारूप पर चर्चा करते हुए कहा कि न्यायालय धर्म संपरिवर्तन के पीड़ित को अभियुक्त द्वारा संदेय समुचित प्रतिकर भी स्वीकृत करेगा, जो अधिकतम पांच लाख रुपये तक हो सकता है और यह जुर्माना के अतिरिक्त होगा।

उन्होंने कहा कि इसमें यह भी व्यवस्था दी गयी है कि यदि कोई विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन के संबंध में किन्हीं विदेशी अथवा अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा, उसे सात वर्ष से 14 वर्ष तक की कठोर कैद हो सकती है। इसमें दस लाख रुपये जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है।

संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गयी है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्‍यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा। इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है।

संशोधित मसौदे में यह प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदे के तहत इसमें सभी अपराध गैर-जमानती बना दिए गए हैं।

इसके पहले कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने पर जोर देते हुए कहा ,"जोर जबर्दस्ती से धर्म परिवर्तन कराने का साथ न हमारी संस्कृति देती है, न यहां बैठे किसी सदस्य की मंशा है।''

उन्होंने कहा ''अगर किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो सर्वप्रथम यह दंडनीय अपराध होना चाहिए, कड़े कानून बनने चाहिए, परंतु उसके साथ साथ इस मामले पर बहुत संवेदनशील होना पड़ेगा।’’

मोना ने कहा, ''कुछ धर्म परिवर्तन स्वैच्छिक होते हैं और संविधान व्यक्ति को जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार देता है।"

उन्होंने कहा कि सजा की अवधि बढ़ाये जाने के कारण आरोपी गिरफ्तार किए जाएंगे और उन्हें जमानत नहीं मिल पाएगी और मामला सत्र न्यायालय में जाएगा। उन्होंने ऐसे मामलों पर विचार करने के लिए एक आयोग या जूरी बनाने का सुझाव दिया, जिसमें सभी उम्र और वर्गों के सदस्य हों। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है।

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आशंका जताई कि इससे फर्जी मामले बढ़ेंगे और एक धारा जोड़ने का सुझाव दिया, जिसमें अगर आरोपी व्यक्ति को रिहा कर दिया जाता है, तो (झूठी) प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिसकर्मियों के लिए कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए, जिससे ऐसे मामलों में झूठे मामले दर्ज करने से बचा जा सके।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कथित 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी। नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्‍यता मिली थी।

 

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TAGS: UP illegal conversion rate, illegal conversion in UP, Illegal conversion punishment, Yogi adityanath
OUTLOOK 30 July, 2024
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