उप्र: वाराणसी में कॉलेज परिसर से मजार हटाने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन
वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज परिसर में स्थित एक मजार को हटाने की मांग को लेकर शुक्रवार को बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन किया। करीब 500 की संख्या में छात्र कॉलेज के गेट पर भगवा झंडा लेकर 'जय श्री राम' का नारा लगाने लगे।
प्रदर्शनकारी छात्र कॉलेज के अंदर जाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन इस दौरान गेट पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया।
सिंह ने कहा कि यदि मजार पर नमाज पढ़ी जाएगी तो छात्र वहां हनुमान चालीसा पढ़ेंगे।
इस बीच, सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी)-कैंट विदुष सक्सेना ने बताया कि कॉलेज के गेट पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। शुक्रवार को छात्रों का एक समूह अपनी बात रखने आया था। इस दौरान छात्र थोड़ा आक्रामक भी हुए। पुलिस ने मामले को शांत कराया दिया है। इस दौरान कुछ उपद्रवियों की भी पहचान की गई है जिनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
उदय प्रताप कॉलेज परिसर में स्थित एक मजार को हटाने की मांग को लेकर बढ़ते तनाव के बीच पुलिस ने बृहस्पतिवार को कॉलेज परिसर में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और केवल वैध पहचान पत्र वाले विद्यार्थियों को ही भीतर जाने की अनुमति दी थी।
इससे पहले, मंगलवार को मजार के पास नमाज पढ़े जाने के दौरान विद्यार्थियों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया था। स्थानीय पुलिस के मुताबिक, मंगलवार को विवाद के बाद सात व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया था।
इससे जुड़ी एक घटना में कॉलेज के छात्रों ने एक विद्यार्थी अदालत का गठन किया है और 11 बिंदुओं का एक पत्र उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड को भेजकर इस मजार की स्थिति और इसके स्वामित्व के संबंध में 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्होंने इस मजार की स्थिति पता लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पत्र लिखा है।
इससे पूर्व, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि इस कॉलेज परिसर में बनी मजार और इसके पास की जमीन वक्फ की संपत्ति है। इस दावे को कॉलेज प्रशासन ने खारिज किया था।
उदय प्रताप स्वायत्त कॉलेज की अवधारणा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जुदेव ने इस क्षेत्र के समाज में मूल्यों का निर्माण करने के उद्देश्य से पेश की थी। इसकी शुरुआत उस समय हुई जब जुदेव ने 1909 में वाराणसी में हीवेट क्षेत्रीय हाईस्कूल की स्थापना की जो 1921 में इंटरमीडिएट कालेज बन गया और इसका नाम उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज कर दिया गया।