कमजोर नीतीश ने बदला रवैया, अब इनको मनाने में जुटे
नीतीश कुमार भले ही बिहार के एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं लेकिन उनकी राजनीतिक ताकत पहले से कमजोर हो गई है। उम्मीद से कम सीटे मिलने के बाद नीतीश अब नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्हें इस समय अपने पुराने साथी याद आ रहे हैं। कोशिश है कि इन साथियों से संबंध सुधारकर, भाजपा के सामने मजबूत खड़े हो सके।
नरेंद्र सिंह को मनाने की कोशिश
हाल ही में नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह की मुलाकात रविवार को पटना में आयोजित एक शादी में हुई थी। नरेंद्र सिंह लोक जनशक्ति पार्टी के बिहार अध्यक्ष रह चुके हैं। वह 2005 में एलजेपी से अलग होकर जेडीयू के साथ आ गए थे, जिसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाकर अपने कैबिनेट में शामिल किया था। नरेंद्र सिंह 2015 तक मंत्री रहे और बाद में जेडीयू को छोड़कर जीतनराम मांझी के साथ चले गए।
उपेंद्र कुशवाहा से भी सुधारे संबंध
नरेंद्र सिंह से पहले आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से भी नीतीश कुमार ने मुलाकात की थी। इसके बाद से उपेंद्र उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं और उन्हें अपना बड़ा भाई बता रहे हैं। नीतीश कुमार की इस मुलाकात के कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।
चुनाव पहले जीतनराम मांझी को भी साधा
नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनावों से पहले अपनी राजनीतिक समीकरण को मजबूत करने के लिए जीतनराम मांझी को साथ ले लिया। उन्होंने जेडीयू के कोटे से मांझी को 7 सीटों पर चुनाव भी लड़वा दिया था, जिनमें चार विधायक जीतकर आए थे। इसके अलावा जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन को अपनी सरकार में मंत्री भी बना रखा है।