Advertisement
05 September 2024

'केजरीवाल जमानत के लिए निचली अदालत क्यों नहीं गए', सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने दी दलील

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत की मांग और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं की स्वीकार्यता पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जमानत के लिए उन्हें पहले निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए था।

केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष दलील दी कि धन शोधन मामले में भी केजरीवाल को शीर्ष अदालत ने वापस निचली अदालत में भेज दिया था। केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

राजू ने कहा, "उन्होंने सत्र न्यायालय में जाए बिना सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के तहत दोनों को समवर्ती क्षेत्राधिकार प्राप्त है। मेरी प्रारंभिक आपत्ति यह है कि उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।"

Advertisement

विधि अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने केजरीवाल को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी नहीं किया, क्योंकि वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं।

इससे पहले दिन में केजरीवाल ने शीर्ष अदालत को बताया कि सीबीआई ने कथित आबकारी पॉलिसी घोटाले में करीब दो साल तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया और ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन के "कठोर" मामले में जमानत मिलने के बाद 26 जून को "बीमा गिरफ्तारी" की गई।

मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ को बताया कि गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं दिया और निचली अदालत ने एकतरफा गिरफ्तारी आदेश पारित कर दिया।

जेल में बंद दिल्ली के सीएम के लिए जमानत की मांग करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और उनके भागने का खतरा नहीं है। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल का नाम सीबीआई की एफआईआर में नहीं है और इसके अलावा, उनके भागने का खतरा भी नहीं है।

वरिष्ठ वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं।

उन्होंने कहा, "अगस्त 2023 में जो मामला शुरू हुआ, वह इस साल मार्च में धन शोधन मामले में गिरफ्तारी का कारण बना। शीर्ष अदालत और एक निचली अदालत ने पहले ही उन्हें जमानत दे दी है।"

शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी और केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया था।

केजरीवाल ने जमानत से इनकार करने और मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को बरकरार रखने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है।

आप प्रमुख को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था। 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी से जवाब मांगा था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि सीबीआई द्वारा किए गए कार्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जो यह प्रदर्शित करने में सक्षम था कि आप सुप्रीमो कैसे गवाहों को प्रभावित कर सकते थे, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सकते थे।

उच्च न्यायालय ने उनसे सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था। दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसके निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश देने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था। 

सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Delhi cm, aam Aadmi party aap, arvind kejriwal, supreme court, bail plea
OUTLOOK 05 September, 2024
Advertisement