Advertisement
25 March 2024

जाति आधारित जनगणना क्यों है सही? कांग्रेस ने गिनाए कारण

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि देश में सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका ‘जाति जनगणना’ है।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर ‘जाति की गिनती क्यों जरूरी है’ शीषर्क से लिखे पोस्ट में कहा, ‘‘सदियों से जाति व्यवस्था हमारे समाज की वास्तविकता है। इसमें जाति, जो कि जन्म से तय होती है, के आधार पर होने वाले भेदभाव और अन्याय को कोई नकार नहीं सकता।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘ लगभग दो सौ साल की गुलामी के बाद आजाद हुए भारत के सामने कई चुनौतियां थीं। इसके चलते जाति आधारित गिनती सन 1951 से नहीं हुई। केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गिनती हर जनगणना में नियमित रूप से होती रही है। पिछली जनगणना सन 2021 में होनी थी लेकिन मोदी सरकार ने लगातार इसको टाला है। इस कारण सरकार के पास अन्य जातियों को तो छोड़ ही दें अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की जनसंख्या कितनी है, इसकी भी जानकारी नहीं है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘सन् 2011 में जब यूपीए की सरकार थी तब 25 करोड़ परिवारों को शामिल करते हुए सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना आयोजित की गई थी जिसमें इन परिवारों का जातीय, सामाजिक और आर्थिक डेटा इकट्ठा किया गया था। सामाजिक-आर्थिक डेटा का उपयोग अब कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए किया जाता है लेकिन जाति से जुड़ी जानकारी और डेटा मोदी सरकार द्वारा कभी प्रकाशित ही नहीं किया गया।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दशकों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग, और सामान्य वर्ग के भी आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को शिक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र में रोज़गार में आरक्षण दिया जा चुका है। पर अभी भी हमें यह ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है कि वो कौन-कौन सा समुदाय हैं जो आरक्षित वर्गों में आते हैं और उनकी जनसंख्या तथा असली हालात क्या हैं?’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि सामाजिक न्याय को पूरी तरह से तभी स्थापित किया जा सकता है जब हमें इन समुदायों की जनसंख्या स्पष्ट रूप से पता हो और इसलिए जाति की गिनती ज़रूरी है।उन्होंने कहा कि जाति जनगणना का और एक फ़ायदा है कि यह आरक्षित समूहों के बीच आरक्षण के लाभों का समान वितरण करने में भी काम आएगी।

Advertisement

रमेश ने कहा, ‘‘जाति जनगणना के साथ-साथ हमें यह जानना भी आवश्यक है कि आर्थिक विकास का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है। हमारा अनुभव ये रहा है कि विकास का फायदा कोई और उठा रहा है और क़ीमत कोई और चुका रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जाति समूहों, राष्ट्रीय संपत्तियों और शासन प्रणालियों में हिस्सेदारी का यह सर्वेक्षण – जिसे सामूहिक रूप से एक व्यापक सामाजिक और आर्थिक जाति जनगणना कहा जाता है – के द्वारा ही हम एक ऐसा भारत सुनिश्चित कर सकते हैं जहां हर किसी को समान अवसर मिले।’’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर लोकसभा चुनाव से पहले लोगों से किए गए अपने वादों के हिस्से के रूप में ‘हिस्सेदारी न्याय’ (सहभागी न्याय) की घोषणा करने के पीछे का कारण बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के एक प्रतिशत सबसे अमीर लोग राष्ट्रीय आय के 22.6 प्रतिशत का लुत्फ़ उठाते हैं, जो ब्रिटिश राज से भी ज़्यादा है, बल्कि 50 प्रतिशत सबसे ग़रीब को राष्ट्रीय आय का केवल 15 प्रतिशत ही पहुंचता है। ये मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में ही हुआ है।’’

खड़गे ने दावा किया, ‘‘2014 और 2022 के बीच अरबपतियों की कुल संपत्ति 280 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है, जो इसी अवधि में राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर से 10 गुना है। दूसरी ओर, भारत में लगभग 34 प्रतिशत परिवार प्रस्तावित राष्ट्रीय स्तर के न्यूनतम वेतन 375 रुपये प्रति दिन से कम कमाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसलिए कांग्रेस पार्टी, ‘हिस्सेदारी न्याय’ के अंतर्गत एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना की गारंटी देती है तथा इसके माध्यम से सभी जातियों और समुदायों की आबादी, सामाजिक- आर्थिक दशा, राष्ट्रीय संपदा में उनकी हिस्सेदारी और शासन-प्रशासन से जुड़े संस्थानों में उनके प्रतिनिधित्व का सर्वे किया जाएगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Congress lists benifit of caste census, Caste based census, BJP, Rahul Gandhi, Loksabha election, Jairam Ramesh
OUTLOOK 25 March, 2024
Advertisement