विधानसभा में क्यों मिली हार? कांग्रेस ने राजस्थान और मिजोरम के नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की
मिजोरम के लिए समीक्षा बैठक पहले हुई। इसके बाद राजस्थान के चुनाव नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं राजस्थान के लिए हुई समीक्षा बैठक में भाग लिया। कांग्रेस के मिजोरम प्रभारी भक्त चरण दास ने बाद में कहा, ‘‘हमने मिजोरम चुनाव के हर पहलू पर चर्चा की, जिसमें जमीनी स्तर और राज्य स्तर पर राज्य की संगठनात्मक संरचना के साथ-साथ चुनाव के दौरान हुए विभिन्न घटनाक्रम शामिल थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपनी भविष्य की योजनाओं पर भी विचार-विमर्श किया। इन सभी मामलों पर गहन चर्चा की गई।’’
बता दें कि मिज़ोरम में ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) मिज़ोरम चुनाव में विजयी हुई, उसने 40 में से 27 सीटें हासिल की और मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को सत्ता से बाहर कर दिया। जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालडुहोमा ने एमएनएफ के जे माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 वोटों से हराकर सेरछिप निर्वाचन क्षेत्र में जीत का दावा किया। मिजोरम विधानसभा चुनाव में कुल 174 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। एमएनएफ 10 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि भाजपा ने पलक और सैहा निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लॉन्ग्टलाई पश्चिम सीट सुरक्षित कर ली ।
वहीं भाजपा ने राजस्थान में 199 सीटों में से 115 सीटें जीतकर जीत हासिल की, और राज्य के तीन दशक के पैटर्न को बरकरार रखा, जहां मतदाता मौजूदा पार्टी को खारिज कर देते हैं। इसके विपरीत, कांग्रेस ने 69 सीटें हासिल कीं। बता दें कि तीनों राज्यों में बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहें है कि भाजपा राजस्थान में इस बार किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है।