क्रिकेट: विरासत का यॉर्कर
अर्जुन तेंडुलकर इन दिनों सुर्खियों में हैं। महान बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर के गेंदबाज बेटे का मुंबई इंडियंस टीम में उतरना और हालिया प्रदर्शन ने सभी का ध्यान खींचा है। क्रिकेट पंडित तरह-तरह की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन इतना उतार-चढ़ाव है कि अर्जुन के यॉर्कर की धार भांपना फिलहाल आसान नहीं। सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ एक मैच में अर्जुन ने आखिरी ओवर में 20 रन बचाए और पहला आइपीएल विकेट हासिल करके टीम को जीत दिला दी, लेकिन अगले ही मैच में पंजाब किंग्स के खिलाफ गेंदबाजी में एक ओवर में 31 रन लुटा दिए। सनराइजर्स के खिलाफ अर्जुन के धैर्य की तारीफ हुई, तो पंजाब किंग्स के खिलाफ रन लुटाने पर उन्हें अपरिपक्व कह दिया गया। यह पहला मौका नहीं है, जब अपने पिता के साये में पलकर क्रिकेट में आया कोई नौजवान लोगों की नजर में है। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां खिलाड़ियों को उनके पिता से की जाने वाली तुलना के चलते उन्हें दबाव का सामना करना पड़ा है। अर्जुन इस कड़ी में सबसे नया नाम हैं। इससे पहले इफ्तिखार अली खां पटौदी और मंसूर अली खां पटौदी, सुनील गावस्कर और रोहन गावस्कर, विजय मांजरेकर और संजय मांजरेकर, लाला अमरनाथ और मोहिंदर अमरनाथ जैसे पिता-पुत्र की जोड़ियों को इसका सामना करना पड़ा है।
सचिन तेंडुलकर के घर जन्म लेने के कारण अर्जुन को बचपन से क्रिकेट का माहौल मिला, लेकिन क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने की वजह से उनसे उम्मीद की गई कि वे अपने पिता की विरासत को आगे लेकर जाएंगे। सही मार्गदर्शन और अनुशासन का नतीजा रहा कि अर्जुन की प्रतिभा ने बहुत जल्दी सभी का ध्यान आकर्षित किया। बाएं हाथ के बल्लेबाज और गेंदबाज अर्जुन ने स्कूल और स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट में अपने खेल की जो झलक दिखाई, उससे खेल प्रेमियों में एक उम्मीद पैदा हुई। सभी को अर्जुन में भविष्य का ऑलराउंडर नजर आने लगा।
मुंबई की तरफ से जूनियर लेवल पर खेलते हुए अर्जुन ने ऐसा प्रदर्शन किया, जिससे सभी को उनमें संभावनाएं दिखीं, लेकिन जब वेस्ट जोन अंडर-16 क्रिकेट टीम में उनका चयन हुआ तो वे मीडिया के निशाने पर आ गए। इसका कारण यह था कि स्कूली क्रिकेट में 1009 रन की मैराथन पारी खेलने वाले प्रणव धनावड़े की जगह उन्हें चुना गया। आरोप लगे कि प्रणव की जगह अर्जुन का चयन उनके सचिन तेंडुलकर के पुत्र होने के कारण हुआ। शायद यह पहला अवसर था जब अर्जुन को महसूस हुआ होगा कि सचिन के पुत्र होने के कारण उनकी आगे की क्रिकेट यात्रा किस कदर चुनौतीपूर्ण होने वाली है।
2018 में अर्जुन ने श्रीलंका के खिलाफ अंडर-19 में अपना खाता खोला। फिर 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने मुंबई की तरफ से खेलते हुए हरियाणा के खिलाफ टी-20 में प्रवेश किया। अर्जुन ने उसके बाद कोई उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उन्हें मौके मिलते रहे। 2021 की आइपीएल नीलामी में उन्हें मुंबई इंडियंस ने खरीदा। तब एक बार फिर उनके सचिन के बेटे होने का लाभ मिलने का सवाल खड़ा हुआ, हालांकि 2021 और 2022 में मुंबई इंडियंस से खरीदे जाने के बावजूद उन्हें एक भी मैच खेलने का अवसर नहीं मिला। अर्जुन को मुंबई की तरफ से घरेलू क्रिकेट में भी अवसर नहीं मिल रहे थे। बाद में अर्जुन ने मुंबई क्रिकेट टीम का साथ छोड़कर गोवा क्रिकेट टीम का दामन थामा और रणजी ट्रॉफी में पहुंचे। उससे पहले अर्जुन ने दो हफ्ते तक युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग ली। युवराज सिंह ने अपने पिता से कहा था कि वे अर्जुन का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करें। योगराज की सीख अर्जुन के काम आई। अर्जुन ने 13 दिसंबर 2022 को राजस्थान क्रिकेट टीम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी का पहला मैच खेलते हुए गोवा की तरफ से शानदार 120 रन की पारी खेली। शतकीय पारी खेलकर अर्जुन ने अपने पिता सचिन के रिकॉर्ड की बराबरी की। सचिन ने भी 11 दिसंबर 1988 को मुंबई की तरफ से रणजी ट्रॉफी में शतक जड़ा था। उस धमाकेदार पारी से उनके आलोचकों की जुबान बंद हो गई।
अर्जुन ने लंबे इंतजार के बाद 16 अप्रैल 2023 को आइपीएल में प्रवेश किया। पहले दो मैचों में उनका प्रदर्शन संतोषजनक रहा। दूसरे मैच में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ आखिरी ओवर में अर्जुन ने 20 रन बचाने के साथ पहला आइपीएल विकेट हासिल किया। सभी ने कहा कि अर्जुन में धैर्य बढ़ा है और वह अपनी यॉर्कर गेंदों के साथ डेथ ओवरों में प्रभावशाली साबित हो सकते हैं, मगर अगले ही मैच में उनकी प्रतिभा पर सवाल खड़े हो गए। पंजाब किंग्स के खिलाफ एक ओवर में उन्होंने 31 रन लुटा दिए।क्या किसी खिलाड़ी की प्रतिभा का आकलन महज दो मैचों के आधार पर संभव है?।
युवा खेल पत्रकार पंकज पांडे अर्जुन तेंदुलकर को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हैं। पंकज पांडे कहते हैं "महान खिलाड़ी दो दिन में नहीं बनते हैं और न उनका आंकलन दो मैच से होता है। जिस तरह के बयान अर्जुन तेंदुलकर को लेकर दिए जा रहे हैं, वह बेहद साधारण हैं। इस सतही मूल्यांकन की कोई वैल्यू नहीं है। विराट कोहली, महेन्द्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग और रोहित शर्मा एक महान खिलाड़ी तभी बने हैं, जब उन्हें लंबे समय तक अवसर मिले। जब बार बार खराब प्रर्दशन के बावजूद इन खिलाड़ियों पर टीम मैनेजमेंट ने भरोसा जताया, तभी इन्होंने भारत को टी 20 और एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप जिताया। इसलिए जिस धैर्य और परिपक्वता की उम्मीद हम अर्जुन तेंदुलकर से कर रहे हैं, वह हमें भी दिखाना होगा। अर्जुन तेंदुलकर कितने बड़े खिलाड़ी बनेंगे यह तो समय बताएगा। लेकिन इस तरह की गैर जिम्मेदार टिप्पणी और सतही मूल्यांकन से हम अर्जुन तेंदुलकर और भारतीय क्रिकेट का भला नहीं कर रहे हैं। भारतीय क्रिकेट टीम को हमेशा से एक अच्छे तेज गेंदबाजी करने वाले ऑल राउंडर की जरुरत है। वह जरूरत अर्जुन तेंदुलकर पूरी कर सकते हैं। इसलिए उन्हें पूरा मौका मिलना चाहिए।"
अर्जुन तेंदुलकर के पास शानदार अवसर है। चराग की परीक्षा तभी होती है, जब गहन अंधकार हो और तेज आंधी चल रही हो। पूर्व में भी जो लोग महान बने हैं, उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है। कठिन समय में ही इंसान का चरित्र उभर कर आता है। अर्जुन तेंदुलकर के लिए भी यह समय निर्णायक साबित होगा। उन्हें सिर्फ इतना ध्यान देना है कि वह मीडिया और समाज की बातों से प्रभावित न हों और सारी ऊर्जा अपने खेल में लगाएं।