अरुण जेटली का कीर्ति आजाद को चिट्ठी प्रलोभन
तब अरुण जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे जबकि कीर्ति आजाद भाजपा के लोकसभा सदस्य। कीर्ति तब भी डीडीसीए के भ्रष्टाचार को लेकर लगातार जेटली को पत्र लिखा करते थे और ऐसे ही एक पत्र में उन्होंने जेटली को डीडीसीए के कुछ अधिकारियों के बारे में लिखा था। इस पत्र का जवाब अरुण जेटली ने 25 सितंबर, 2010 को दिया था।
इस पत्र में जेटली ने आजाद को लिखा, ‘हम डीडीसीए में आपके जैसे एक मित्र और खिलाड़ी का सकारात्मक सहयोग हासिल करने के लिए व्याकुल हैं मगर इस बारे में हमारे सद्भावपूर्ण प्रयास सफल नहीं हो पा रहे। अतीत में डीडीसीए ने आपको राष्ट्रीय चयनकर्ता और फिर चयन समिति का प्रमुख बनवाया मगर यह भी डीडीसीए के साथ आपके रिश्ते जोड़ने में मददगार नहीं साबित हुआ।’ अपनी चिट्ठी में जेटली ने कीर्ति आजाद द्वारा डीडीसीए अधिकारियों एस.पी. बंसल और सी.के. खन्ना पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया मगर अंत में फिर लिखा कि वह चाहते हैं कि कीर्ति आजाद डीडीसीए से सहयोग करें। जेटली ने लिखा, ‘ मेरे सहकर्मियों के खिलाफ आपके बेबुनियाद आरोपों के बावजूद मैं डीडीसीए की गतिविधियों में आपका सहयोग चाहता हूं।’
दिल्ली में क्रिकेट से जुड़े रहे एक पूर्व खिलाड़ी सवाल उठाते हैं, क्या अतीत में चयनकर्ता और चयन समिति का प्रमुख बनवाने की बात कर जेटली कीर्ति आजाद के सामने चारा फेंक रहे थे कि अगर वे डीडीसीए के साथ सहयोग करते हैं तो उन्हें और भी बहुत कुछ मिल सकता है। यहां सवाल यह है कि क्या कीर्ति आजाद जैसे खिलाड़ी को, जो भारत को पहला एकदिवसीय विश्वकप खिताब दिलाने वाली टीम का सदस्य रहा हो, राष्ट्रीय चयनकर्ता या फिर मुख्य चयनकर्ता बनाकर जेटली अहसान कर रहे थे और फिर वक्त आने पर वह अहसान जता भी रहे थे? क्या क्रिकेट को प्यार करने वाले किसी खिलाड़ी को क्रिकेट के भ्रष्टाचार की बात उठाने पर इसी प्रकार चयनकर्ता, कोच या मैच प्रशासक बनाकर व्यवस्था का अंग बनाने का प्रयास किया जाएगा? इन सवालों का जवाब तो डीडीसीए अध्यक्ष अरुण जेटली को देना ही चाहिए।
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