एशिया कप: बिन ट्रॉफी भी धूम
पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में भारतीय टीम ने पाकिस्तान के मंत्री से एशिया कप लेने से किया इनकार
चमचमाती रोशनी और दर्शकों से खचाखच भरा दुबई का क्रिकेट स्टेडियम। तारीख 28 सितंबर। लोगों के चरम जोश के बीच पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी। शुरुआत ठीक ही थी कि कुलदीप यादव का ओवर आया और उनकी फिरकी के जाल में पूरी पाकिस्तान टीम फंसकर तहस-नहस हो गई। पाकिस्तान की टीम मात्र 146 रन पर सिमट गई। भारत के प्रशंसकों को लगा यह चुटकी बजाने जितना आसान है, लेकिन भारत ने जल्दी ही विकेट गंवा दिए और तनाव था कि बढ़ता ही जा रहा था। फिर आए, तिलक वर्मा, संजू सैमसन और शिवम दुबे। तीनों ने मोर्चा संभाला। तिलक को देख कर ही लगता था कि वे कमर कस कर उतरें हैं। उनकी नाबाद पारी ने वैसा ही असर डाला जैसा कभी विराट कोहली की पारियां अहम मौकों पर डाला करती थीं। तिलक की बदौलत भारत ने एशिया कप में जीत हासिल की और स्टेडियम नीलमय हो गया।
इस रोमांचक जीत के बाद जो हुआ वह और ज्यादा दिलचस्प था। एशिया कप ट्रॉफी के बाद जो हुआ वह इससे पहले कभी नहीं हुआ था। इस घटना पर खेल भावना कम, राजनैतिक होड़ की छाप ज्यादा थी। भारतीय टीम ने ट्रॉफी जीती जरूर मगर उसे बिना ट्रॉफी के ही ‘हुर्रे’ पोज देकर खुशी मनानी पड़ी। खेल कोई सा भी हो, भारत और पाकिस्तान के मुकाबलों में हमेशा ही जुनून और तनाव रहता है, लेकिन इस बार हालात अलग थे। दूर दुबई के मैदान में भी खेल के साथ पृष्ठभूमि में पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर का साया भारतीय खिलाड़ियों और बीसीसीआइ के साथ-साथ था। इसलिए इस बार जब टीम इंडिया फाइनल में पाकिस्तान से भिड़ी, तो खेल से ज्यादा इस बात पर नजर थी कि मैदान पर क्या होगा और उससे बाहर कैसा संदेश जाएगा।
कप्तान सूर्यकुमार यादव ने संदेश देने का थोड़ा अलग तरीका चुना और जीत के बाद ट्रॉफी और मेडल लेने का वक्त आया, तो भारतीय टीम ने एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के हाथों उसे लेने से इनकार कर दिया। नकवी, एशियाई क्रिकेट परिषद और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष होने के साथ पाकिस्तान सरकार में मंत्री भी हैं। नकवी वही नेता हैं, जो भारत के खिलाफ बोलते आए हैं। भारतीय खिलाड़ियों के इनकार के बाद एक घंटे तक समारोह अटका रहा। मंच पर बेचैनी थी, कैमरे हैरान थे और दर्शक परेशान कि आखिर समारोह हो क्यों नहीं रहा है।
जब किसी सूरत में हल नहीं निकला, तब खिलाड़ियों को व्यक्तिगत अवॉर्ड दिए गए। तिलक वर्मा प्लेयर ऑफ द मैच, अभिषेक शर्मा टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ और कुलदीप यादव मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर बने। पाकिस्तान टीम ने अपने मेडल लिए और भारतीय टीम मैदान पर पैर पसारे बैठी रही। तब कमेंटेटर साइमन डूल ने बताया कि भारतीय टीम ट्रॉफी और मेडल नहीं ले रही है। लेकिन जब तक कप की सुध आती, नकवी कप अपने साथ ले जा चुके थे।
बीसीसीआइ सचिव देवजीत सैकिया ने बताया कि ट्रॉफी न लेने के कारण नकवी ट्रॉफी साथ ले गए हैं और अब यह मामला आइसीसी के सामने है। ट्रॉफी न मिलने पर कप्तान सूर्यकुमार यादव ने कहा कि किसी चैंपियन से ट्रॉफी छीन लेने जैसा वाकया क्रिकेट में इससे पहले कभी नहीं हुआ। पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा को सूर्यकुमार का यह कदम इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने इसे पाकिस्तान का नहीं, बल्कि क्रिकेट का सरासर अपमान बता दिया।
हालांकि एशिया कप में विवाद पहले से ही चले आ रहे थे। फाइनल में जो हुआ वह तो पुरानी पटकथा का मात्र पटाक्षेप था। 14 सितंबर को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ इस टूर्नामेंट का पहला मुकाबला खेला था। इस मैच में भी सूर्यकुमार यादव ने टॉस के बाद सलमान आगा से हाथ नहीं मिलाया था। बाद में मैच जीतने के बाद भी भारतीय खिलाड़ी सीधा अपने ड्रेसिंग रूम में चले गए थे। विवाद की यह शुरुआत थी, जो खिंच कर फाइनल तक चली आई। इसके बाद, सुपर फोर में भी न दोनों कप्तानों ने हाथ मिलाया, न टीम के खिलाडियों ने। पाकिस्तान मीडिया ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसकी पूर्णाहुति भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। उन्होंने एक्स पर टीम इंडिया को जीत की सीधी-सीधी बधाई देने के बजाय लिखा, ‘‘मैदान पर भी ऑपरेशन सिंदूर, नतीजा वही- भारत जीत गया।’’
भारत पाक के तनावपूर्ण रिश्तों की वजह से लगता नहीं कि क्रिकेट प्रेमियों को दोनों टीमों के मुकाबले जल्द देखने को मिलेंगे
पूरे टूर्नामेंट में शुरू से ही भारत का दबदबा बना रहा था। भारत एक भी मैच नहीं हारा। भारत ने नौवीं बार यह खिताब अपने नाम किया है। टूर्नामेंट में भारतीय टीम सबसे संतुलित टीम के तौर पर उभरी। भारत की बल्लेबाजी का औसत 32.25 और स्ट्राइक रेट 144.13 रहा, जो इस टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ था। पावरप्ले में भारत की रन दर 10.6 औसत की रही, जो आक्रामक रणनीति की पहचान थी। अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल की साझेदारियां, तिलक का जुझारूपन, दुबे और संजू के ठोस योगदान, हार्दिक का हरफनमौला अंदाज और कुलदीप यादव समेत सभी स्पिनरों की फिरकी ने पूरी यात्रा को यादगार बना दिया। बुमराह और सूर्यकुमार यादव लय में नहीं रहे लेकिन टीम ने उनकी कमी पूरी कर दी। स्पिनरों का जादू यूएई की पिचों पर खूब चला।
भारत के सामने पाकिस्तान की टीम बल्लेबाजी में बेहद कमजोर दिखी। उनका औसत महज 18.37 रहा। लेकिन गेंदबाजी में पाकिस्तान ने बेहतर प्रदर्शन किया। उनका औसत 18.97 और इकॉनमी 6.78 रही। शाहीन अफरीदी ने पाकिस्तान की दिशा संभाली और टूर्नामेंट में 10 विकेट लेकर टीम को फाइनल तक पहुंचाया। टूर्नामेंट में केवल एक शतक आया, जो श्रीलंका के पथुम निस्संका के बल्ले से निकला। उन्होंने भारत के खिलाफ 107 रनों की पारी खेली। बांग्लादेश और श्रीलंका अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सके, जबकि अफगानिस्तान का ग्रुप स्टेज से बाहर होना उनके समर्थकों के लिए निराशाजनक रहा। यूएई और ओमान जैसी नई टीमों ने हालांकि भविष्य के लिए उम्मीद जगाई। लेकिन भारत की लय से कोई टीम मेल नहीं बैठा सकी और अंततः सब पिछड़ गईं।
लेकिन जीत के बाद भी भारतीय टीम को बिना ट्रॉफी के ही लौटना पड़ा। क्रिकेट इतिहास में यह शायद पहली बार हुआ है। इससे आने वाले भारत-पाक मुकाबलों पर कई तरह के सवाल होने लगे हैं। दोनों देशों के तनावपूर्ण रिश्तों की वजह से लगता नहीं कि क्रिकेट प्रेमियों को दोनों टीमों के मुकाबले जल्द देखने को मिल सकेंगे।