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04 January 2016

क्रिकेट में सट्टेबाजी मंजूर पर अधिकारियों का मंत्री बनना नहीं: लोढ़ा समिति

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आर एम लोढ़ा की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल ने कठोर सुधारों की शृंखला में सुझाव दिया है कि एक राज्य का प्रतिनिधित्व केवल एक इकाई करेगी जबकि संस्थानिक और शहर आधारित इकाइयों के मतदान अधिकार वापस लेने की सिफारिश की है। समिति ने बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के भी पुनर्गठन का सुझाव दिया है और सीईओ के पद का प्रस्ताव रखा है जो नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद के प्रति जवाबदेह होगा।

 कीर्ति ने किया स्वागत

न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की सिफारिशों का स्वागत करते हुए पूर्व क्रिकेटर और भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि एक राज्य में एक ही क्रिकेट संघ और भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड को सूचना का अधिकार कानून के दायरे में लाने की सिफारिश स्वागतयोग्य कदम हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैं क्रिकेट खेलता था, उस वक्त जो दर्जी हमारे कपडों की नाम लेता था, वह आज डीडीसीए पर नियंत्रण कर रहा है। चार दशक बीतने के बाद भी वह डीडीसीए में बना हुआ है और आज वह अध्यक्ष है जबकि उसका ड्रैपर संघ का महासचिव बना बैठा है। कहने का मतलब कि उनमें से किसी ने कभी क्रिकेट नहीं खेला है। मैं पहले से ही बीसीसीआई को आरटीआई दायरे में लाने की वकालत कर रहा था।’ कीर्ति आजाद ने एक राज्य एक संघ की सिफारिश का समर्थन करते हुए कहा कि इससे कुछ अधिकारियों का बीसीसीआई से एकाधिकार खत्म होगा।

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एक राज्य एक संघ की वकालत 

उच्चतम न्यायालय में 159 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपने के बाद खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने बोर्ड अधिकारियों, क्रिकेटरों और अन्य हितधारकों के साथ 38 बैठकें की। उच्चतम न्यायालय यह फैसला करेगा कि बीसीसीआई इन सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य है या नहीं। लोढ़ा ने सिफारिशों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा, पहली बात ढांचे और संविधान को लेकर है। अभी आप जानते हें कि बीसीसीआई के 30 पूर्णकालिक सदस्य हैं। इनमें से कुछ सदस्यों जैसे सेना, रेलवे आदि का कोई क्षेत्र नहीं है। इनमें से कुछ टूर्नामेंट में नहीं खेलते। कुछ राज्यों में कई सदस्य हैं जैसे कि महाराष्ट्र में तीन और गुजरात में तीन सदस्य है। हमने जो बातचीत की उनमें से कुछ को छोड़कर बाकी सभी इस पर सहमत थे कि बीसीसीआई में एक राज्य से एक इकाई का प्रतिनिधित्व सही विचार होगा।

सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता

लोढ़ा पैनल ने जो सबसे सनसनीखेज सिफारिश की है वह सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की है। पैनल का मानना है कि इससे खेल में भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलेगी और सिफारिश की कि खिलाडि़यों और अधिकारियों को छोड़कर लोगों को पंजीकृत साइट्स पर सट्टा लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पैनल ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये इस संस्था को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लाना जरूरी है। बोर्ड अपनी स्वायत्ता का हवाला देकर पूर्व में इसका पुरजोर विरोध करता रहा है।

आरटीआई कानून के दायरे में आए बोर्ड

न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, चूंकि बीसीसीआई सार्वजनिक कार्यों से जुड़ा है, इसलिए लोगों को इसके कामकाज और सुविधाओं तथा अन्य गतिविधियों के बारे में जानने का अधिकार है और इसलिए हमारा विचार है कि क्या बीसीसीआई पर आरटीआई अधिनियम लागू होता है या आरटीआई के अधीन आता है यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। हमने सिफारिश की है कि विधायिका को बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए।

तीन साल से अधिक कार्यकाल नहीं

बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिए आयु और कार्यकाल की समयसीमा तय करने के बारे में समिति ने कहा कि बोर्ड के सदस्यों को तीन कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रहना चाहिए। न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि अध्यक्ष तीन साल के दो कार्यकाल में रह सकता है कि लेकिन अन्य पदाधिकारी तीन कार्यकाल तक रह सकते हैं। सभी पदाधिकारियों के लिए प्रत्येक कार्यकाल के बीच अंतर अनिवार्य होगा। लोढ़ा ने कहा, बीसीसीआई के पदाधिकारियों के संबंध में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के लिए कुछ पात्रता मानदंड तय किए गए हैं जैसे कि वह भारतीय होना चाहिए, वह 70 साल से अधिक उम्र का नहीं होना चाहिए, वह दिवालिया नहीं होना चाहिए, वह मंत्राी या सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए और जिसने नौ साल की संचयी अवधि के लिये बीसीसीआई में कोई पद नहीं संभाला हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

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TAGS: Lodha Committee, BCCI, Supreme Court, महाराष्ट्र, गुजरात, सूचना का अधिकार
OUTLOOK 04 January, 2016
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